नई दिल्ली. नेपाल में जारी हिंसक विरोध प्रदर्शनों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरी चिंता व्यक्त की है। मंगलवार को हिमाचल प्रदेश और पंजाब में बारिश से हुई तबाही का जायजा लेने के बाद पीएम मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक की, जिसमें नेपाल में फैलती अशांति और हिंसा की समीक्षा की गई। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से नेपाल के शांति, स्थिरता और समृद्धि के साथ खड़ा रहा है और “नेपाल की शांति और स्थिरता हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
पीएम मोदी ने व्यक्त की पीड़ा
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि नेपाल में हो रही हिंसा “दिल दहला देने वाली” है। उन्होंने युवाओं की मौतों पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा,
“मुझे बहुत पीड़ा है कि कई युवा अपनी जान गंवा बैठे। नेपाल की स्थिरता, शांति और समृद्धि हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। मैं नेपाल के सभी भाइयों और बहनों से विनम्र अनुरोध करता हूं कि वे शांति बनाए रखें।”
उन्होंने आह्वान किया कि नेपाल के लोग गुस्से और विभाजन से ऊपर उठें तथा एकजुट होकर शांति का समर्थन करें।
नेपाल सेना ने संभाली सुरक्षा
प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के इस्तीफा देने के कुछ घंटों बाद नेपाल सेना ने रात 10 बजे से सुरक्षा संचालन अपने हाथ में लेने की घोषणा की। सेना के जनसंपर्क एवं सूचना निदेशालय ने चेतावनी दी कि कुछ समूह अशांति का फायदा उठाकर आम नागरिकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। सेना ने स्पष्ट किया कि यदि हिंसा नहीं रुकी तो सुरक्षा बलों समेत सेना को भी तैनात कर दिया जाएगा और नागरिकों से हिंसा से दूर रहने की अपील की।
सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुआ जन आंदोलन
ये विरोध प्रदर्शन मुख्य रूप से जनरेशन Z यानी युवाओं के नेतृत्व में चल रहा है। शुरुआत सरकार द्वारा लगाए गए सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ हुई थी। सोमवार को प्रतिबंध हटाए जाने के बावजूद भ्रष्टाचार के आरोप और पुलिस कार्रवाई में 19 प्रदर्शनकारियों की मौत से जनता का गुस्सा और बढ़ गया। काठमांडू में भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ नारे लगे और प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया पर उनके आलीशान जीवनशैली से जुड़े सबूत साझा किए।
राजनीतिक नेताओं के घरों पर हमले
हिंसा ने भयावह रूप ले लिया जब प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के घर में आग लगा दी, जिससे उनकी पत्नी रबी लक्ष्मी चित्रकार की झुलसकर मौत हो गई। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ओली, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल सहित कई नेताओं के घरों पर हमले किए गए। पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के घर को भी तोड़ा गया और काठमांडू की सड़कों पर टायर जलाकर रास्ते बंद कर दिए गए, जबकि कर्फ्यू लागू था।
संवाद और संयम की अपील
इस्तीफा देते हुए प्रधानमंत्री ओली ने लिखा कि असाधारण परिस्थितियों में संविधान के अनुरूप समाधान हेतु उन्हें पद छोड़ना पड़ा। राष्ट्रपति पौडेल ने नागरिकों और प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने की अपील की। नेपाल के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने संयुक्त बयान में कहा कि केवल संवाद से ही स्थिति को सामान्य किया जा सकता है। सेना ने नेपाल की स्वतंत्रता, संप्रभुता और एकता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहने की बात दोहराई।
संकट से जूझती लोकतांत्रिक व्यवस्था
नेपाल में युवाओं का गुस्सा, राजनीतिक अविश्वास और प्रशासन की विफलता ने देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की मजबूती की परीक्षा ले ली है। यह संकट बताता है कि सामाजिक असंतोष को संवाद और विश्वास से ही सुलझाया जा सकता है। भारत ने शांति का समर्थन करते हुए नेपाल के साथ सहयोग बनाए रखने का संदेश दिया है।