नई दिल्ली. कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने हाल ही में घोषणा की कि कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य में एक नई caste census शुरू करने का निर्देश दिया है। यह निर्णय दिल्ली में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और KPCC अध्यक्ष डीके शिवकुमार शामिल थे। इस कदम का उद्देश्य पुराने caste survey से उत्पन्न विवादों को संबोधित करना और सभी समुदायों को समावेशी प्रतिनिधित्व देना है।
नई जनगणना की आवश्यकता क्यों?
पिछली caste census, जो 2015 में सिद्धारमैया के पिछले कार्यकाल में हुई थी, कई विवादों का कारण बनी थी। कुछ समुदायों ने शिकायत की थी कि उन्हें उस सर्वेक्षण में शामिल नहीं किया गया, जिसके परिणामस्वरूप उनके हितों की अनदेखी हुई। डीके शिवकुमार ने कहा, “हमारी प्राथमिकता है कि कोई भी समुदाय social exclusion महसूस न करे। नई जनगणना में सभी को उचित अवसर और प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।”
AICC महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि 2015 का डेटा अब पुराना हो चुका है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने मुख्यमंत्री को सलाह दी है कि new census प्रक्रिया को 60-80 दिनों के भीतर पूरा किया जाए।” यह कदम केंद्र सरकार द्वारा national census की समय-सारिणी घोषित करने के तुरंत बाद आया है, जिससे इसकी प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है।
समावेशी और निष्पक्ष प्रक्रिया का वादा
शिवकुमार ने जोर देकर कहा कि नई caste census इस तरह से आयोजित की जाएगी कि सभी समुदायों को शामिल किया जाए। उन्होंने कहा, “हम उन सभी को मौका देंगे, जिन्हें लगता है कि वे पिछले सर्वेक्षण में छूट गए थे।” राज्य मंत्रिमंडल इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा करेगा और एक ऐसी योजना तैयार करेगा जो social justice और equity सुनिश्चित करे।
इसके अलावा, यह निर्णय बेंगलुरु में 4 जून को हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण भगदड़ की घटना की समीक्षा के बाद लिया गया, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई थी। इस बैठक में caste census एक प्रमुख मुद्दा बनकर उभरा, जिसे सभी नेताओं ने गंभीरता से लिया।
कांग्रेस का रणनीतिक कदम
कांग्रेस का यह कदम न केवल social inclusion को बढ़ावा देने की दिशा में है, बल्कि यह Karnataka politics में भी एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम माना जा रहा है। पार्टी का मानना है कि एक नई और निष्पक्ष caste survey से समुदायों की चिंताओं को दूर करने में मदद मिलेगी, जिससे सामाजिक और राजनीतिक समीकरण मजबूत होंगे।
वेणुगोपाल ने कहा, “कर्नाटक सरकार ने पिछले दशक में जो caste data एकत्र किया था, वह अब अप्रासंगिक है। नई जनगणना से न केवल ताजा आंकड़े मिलेंगे, बल्कि यह सभी समुदायों के लिए fair representation सुनिश्चित करेगा।”
आगे की राह
कर्नाटक सरकार अब इस नई caste census की योजना तैयार करने में जुट गई है। मंत्रिमंडल जल्द ही इस पर चर्चा करेगा और समयबद्ध तरीके से इसे लागू करने की रणनीति बनाएगा। यह कदम न केवल कर्नाटक बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी social equity और inclusive governance की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।