नई दिल्ली. भारत सरकार nuclear energy sector में बड़े सुधारों की ओर कदम बढ़ा रही है, जिसका मकसद है विदेशी और private companies को इस क्षेत्र में भागीदारी का मौका देना। इसके लिए केंद्र सरकार दो महत्वपूर्ण कानूनों — Civil Liability for Nuclear Damage Act (CLNDA) 2010 और Atomic Energy Act 1962 में अहम संशोधन करने की योजना पर काम कर रही है। इन बदलावों के जरिए सरकार निवेशकों की चिंता को दूर करना चाहती है, जो अब तक भारी मुआवजा जिम्मेदारी (liability) के डर से भारत में परमाणु ऊर्जा में निवेश करने से कतराते थे।
विदेशी कंपनियों को मिलेगा निवेश का रास्ता, Holtec को मिली परमिशन
अमेरिका ने हाल ही में Holtec International को भारत में nuclear technology transfer की अनुमति दी है। इससे भारत-अमेरिका के बीच strategic nuclear cooperation और गहरा होगा। भारत में परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए CLNDA की धारा 17(b) में संशोधन प्रस्तावित है, जो अब तक foreign suppliers के लिए liability risk बढ़ाती थी।
CLNDA में 11 संशोधन प्रस्तावित, liability होगी सीमित
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, CLNDA में लगभग 11 legal amendments पर काम चल रहा है, जिसमें दो सबसे अहम हैं – धारा 17 को international standards के अनुरूप बनाना और ‘supplier’ की definition को स्पष्ट करना। इसके अलावा, sub-supplier liability और देनदारी की अधिकतम सीमा को भी तय किया जाएगा, जिससे छोटे वेंडरों की चिंताएं खत्म होंगी।
Atomic Energy Act में बदलाव से private sector को मिलेगा बड़ा मौका
सरकार Atomic Energy Act 1962 में संशोधन करके private sector को nuclear power generation की अनुमति देने जा रही है। अभी तक यह अधिकार सिर्फ public sector undertakings (PSUs) को ही प्राप्त था। अब सरकार चाहती है कि private players भी भारत की energy demand को पूरा करने में सहयोग दें। भविष्य में foreign companies को भी ownership या joint venture के माध्यम से limited partnership की मंजूरी मिल सकती है।
जल्द लागू होंगे नए नियम, बजट में हुआ था जिक्र
इन proposed reforms की घोषणा पहले ही बजट भाषण में की जा चुकी है, और सरकार जल्द से जल्द इसे लागू करना चाहती है। इसका उद्देश्य है भारत को energy secure, clean energy oriented, और वैश्विक परमाणु ऊर्जा मानचित्र पर एक मजबूत खिलाड़ी बनाना।