स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के लिए नीति आयोग और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शहरी भारत में गैर-संचारी रोगों के इलाज में निजी अस्पतालों की भूमिका को बढ़ाने के लिए एक मॉडल अनुबंध तैयार किया है. समझौते की शर्तों के मुताबिक, सरकारी जिला अस्पतालों के कुछ हिस्सों को 30 साल के लीज पर निजी पार्टियों को दिया जायेगा।
मॉडल अनुबंध के अनुसार, राज्य को जिला अस्पताल भवनों के कुछ हिस्सों को निजी निवेशकों के साथ 30 साल का लीज़ हस्ताक्षर करना होगा और रक्त बैंकों-एम्बुलेंस सेवाओं जैसे अपनी सहायक सेवाओं को भी साझा करना होगा. इसके साथ ही, राज्य सरकार चुनिंदा निजी आवेदंको को नये अस्पताल बनाने के लिये कुछ फंड भी मुहैया करा सकती है। साथ ही देश के आठ बड़े महानगरों को छोड़ कर, अन्य शहरों में इन अस्पतालों की जमीन के कुछ हिस्सों पर, 50-100 बिस्तरों की सुविधा वाले अस्पताल स्थापित करने की अनुमति दी जायेगी.
यह सुनिश्चित करने के लिए कि इन निजी अस्पतालों के पास इलाज के लिए पर्याप्त संख्या में रोगी उपलब्ध हों, नीति आयोग और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जिला अस्पतालों का सुझाव दिया है कि वे अस्पताल जिनके पास हर दिन ओपीडी में 1000 से अधिक रोगी आते हैं, केवल उन्ही को इस निजीकरण योजना में शामिल किया जाना चाहिये।