शिमला. हिमाचल प्रदेश में 29 साल के लंबे अंतराल के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों की गणना होगी. इस गणना के आधार पर ग्राम पंचायतों और नगर निकाय चुनाव में ओबीसी के लिए आरक्षण कोटा भी बढ़ेगा. अभी साल 1993-94 में हुई गणना के आंकड़ों के आधार पर ही इन्हें चुनाव में आरक्षण मिल रहा है.
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की बैठक में लिया फैसला
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने फैसला लिया है कि प्रदेश में ओबीसी की जनसंख्या की दोबारा गिनती कराई जायेगी. मंगलवार को राजधानी शिमला में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रामलोक धनोटिया की अध्यक्षता में आयोग की 261वीं बैठक हुई. बैठक में प्रदेश सरकार से राष्ट्रीय आयोग की तर्ज पर राज्य आयोग के लिए भी संवैधानिक दर्जा देने को लकेर भी आग्रह किया गया है.
कब हुई थी अंतिम बार गणना
इससे पहले साल 1993-94 में आयोग ने प्रदेश में ओबीसी वर्ग के लोगों की गणना की थी. उस दौरान इनकी जनसंख्या 8 लाख 84 हजार 305 थी. प्रदेश में राज्य पिछड़ा वर्ग द्वारा दिये गये इन्हीं आंकड़ों के आधार पर पंचायतों और नगर निकाय चुनाव में ओबीसी का आरक्षण तय होता है. अभी ओबीसी के लोगों की जनसंख्या में भी बढ़ोतरी हो गई है.
आयोग ने पंचायतीराज विभाग और शहरी विकास विभाग के जरिये गांव स्तर पर इस वर्ग की गिनती करवाने का फैसला लिया है. इसके लिए संबंधित विभागों को पत्र जारी कर जल्द नए आंकड़े उपलब्ध करवाने को कहा है. बैठक में अन्य पिछड़ा वर्ग की राज्य सूची का दोबारा निरीक्षण करने का भी फैसला लिया गया.