नई दिल्ली. केंद्र सरकार OBC Reservation (अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण) के तहत क्रीमी लेयर (Creamy Layer) के दायरे को लेकर एक नया बड़ा प्रस्ताव तैयार कर रही है। इसका उद्देश्य OBC आरक्षण का लाभ समाज के निचले तबके तक पहुंचाना और संपन्न वर्ग के लोगों को आरक्षण से बाहर रखना है।
क्या है सरकार का प्रस्ताव?
सूत्रों के अनुसार, सरकार विभिन्न केंद्रीय और राज्य संगठनों, PSU (Public Sector Undertakings), विश्वविद्यालयों और प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत OBC वर्ग के लोगों के लिए समतुल्यता (Equivalence) लागू करने की योजना बना रही है। इसका मतलब है कि जो लोग Group-A/Group-B, उच्च पदों या उच्च वेतनमान (Pay Level) पर हैं, उन्हें Creamy Layer की श्रेणी में लाया जा सकता है।
मौजूदा आय सीमा और क्रीमीलेयर का इतिहास
1992 में इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने OBC में क्रीमीलेयर की अवधारणा पेश की। शुरुआत में 1993 में सालाना आय सीमा 1 लाख रुपये थी। बाद में 2004, 2008, 2013 में संशोधन हुआ और 2017 में इसे 8 लाख रुपये प्रति वर्ष तय किया गया। इस सीमा के भीतर आने वाले लोग OBC आरक्षण का लाभ नहीं ले सकते।
समतुल्यता (Equivalence) से कौन प्रभावित होंगे?
सरकार समतुल्यता लागू करने पर विचार कर रही है, ताकि सरकारी, PSU, विश्वविद्यालयों और प्राइवेट सेक्टर में क्रीमीलेयर के दायरे को समान बनाया जा सके। विश्वविद्यालयों में Assistant Professor, Associate Professor, Professor जैसे पद जिनका वेतन Level 10 या उससे अधिक है, उन्हें भी क्रीमीलेयर में शामिल किया जा सकता है। प्राइवेट सेक्टर में भी High Pay Scale Positions और Top Management Roles वाले OBC वर्ग के लोग आरक्षण से वंचित हो सकते हैं।
केंद्रीय/राज्य स्वायत्त निकाय, बोर्ड और अन्य सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों के कर्मचारियों को भी समतुल्यता के तहत शामिल किया जा सकता है।
प्रस्ताव का उद्देश्य
OBC आरक्षण का लाभ सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तक पहुंचे। संपन्न और उच्च पदों पर कार्यरत OBC वर्ग को क्रीमीलेयर में शामिल कर आरक्षण से बाहर किया जाए। Private Sector, Universities और PSU Employees के लिए समान नियम लागू करके विवादों को कम किया जाए।
अगले कदम
यह प्रस्ताव सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, नीति आयोग और NCBC के बीच मंथन (Consultation) के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा। सरकार जल्द ही इस प्रस्ताव को लागू कर सकती है, जिससे OBC creamy layer की नई परिभाषा और reservation eligibility में बड़े बदलाव आने की संभावना है।
