जयपुर: राजस्थान में बिपरजॉय चक्रवात से हुए नुकसान को लेकर जहां गहलोत सरकार हर संभव मदद का आश्वासन दे रही है तो वहीं विपक्षी दल के नेता भी प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को जल्द से जल्द आर्थिक मुआवजा देने को लेकर दबाव बना रहे है.
इसी क्रम में राजस्थान विधानसभा उपनेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने सीएम गहलोत को पत्र लिखकर विशेषकर पश्चिमी राजस्थान के प्रभावितों को आर्थिक मुआवजा और अन्य जरूरी सम्बल देने की मांग की है.
सीएम गहलोत को लिखे पत्र में पूनिया ने स्वयं के बाड़मेर, चौहटन और सांचोर का 22 जून को किए गए जमीनी दौरे का भी जिक्र किया है. उन्होंने बताया कि बिपरजॉय चक्रवात से विशेषकर पश्चिमी राजस्थान में जनहानि हुई है और कुछ जगह लोगों की आजीविका का सहारा पशुधन भी काल कवलित हो गया है. ऐसे में ज़रूरी है कि राज्य की सरकार प्रभावित क्षेत्र के लोगों को हर तरीके की अविलंब सहायता पहुंचाए.
आपके सर्वेक्षण के बाद जानी हकीकत
पूनिया ने सीएम को लिखे पत्र में कहा कि बिपरजॉय तूफान से राजस्थान के प्रभावित क्षेत्रों का आपने भी हवाई सर्वेक्षण किया है. लेकिन आपके प्रवास के बाद मैनें भी बाड़मेर और जालौर के कुछ क्षेत्रों की जमीनी हकीकत जानने के लिए दौरा किया. बहुत दूरस्थ गांवों- ढ़ाणियों तक पैदल चलकर प्रत्यक्ष देखने पर जो दृश्य दिखा वह बहुत कष्टकारक है, अभी भी कई गांव, ढ़ाणियां और घर जल प्लावित होकर टापू बने हुए हैं, लोगों के झोपडे और कच्चे घर सहित पक्के मकानों को भी भारी नुकसान हुआ है.
मदद पहुंचाने में ना हो सियासत
पूनिया ने कहा कि प्रदेश के इन पीड़ित प्रभावित लोगों की तकलीफ की घड़ी में हम सब साथ हैं. यह पीड़ा सियासत से परे है इसलिए एक सार्थक एवं सकारात्मक विपक्ष के नाते ‘‘ग्राऊंड जीरो’’ पर जो मैनें देखा वो आपको इस पत्र के माध्यम से साझा किया है अतः आपसे अनुरोध है कि राजनीति से परे निम्नलिखित सुझावों पर ध्यान देकर पश्चिमी राजस्थान के बिपरजॉय से प्रभावित निवासियों को संबल देने का काम करेंगे.
- प्रत्येक जिले की प्रशासनिक मशीनरी को सक्रिय कर उनको वस्तुस्थिति जानने के लिए दूरस्थ अंतिम छोर की गांव – ढ़ाणियो घरों तक भेजकर नुकसान की रिपोर्ट/सर्वे किया जाए.
- इस दौरान जिन लोगों को जो-जो भी नुकसान हुआ है जनहानि, पशु हानि, छप्पर, झोपड़ी, कच्चे मकान पक्के मकान, गौशालाएं, दुकान, व्यापार उनका आकलन करके तुरंत मुआवजा प्रदान किया जाए.
- मैंने मौके पर पाया कि जल भराव वाले क्षेत्रों में अतिक्रमण या पानी को रोकने या डायवर्जन नहीं होने से बस्तियाँ जलमग्न हुई और पानी घरों तक पहुंचा है इसका भी तत्काल सर्वे कर भविष्य में पानी निकासी के सुदृढ़ व्यवस्था की कार्य योजना अवश्य बनाएं.
आज रिमोट सेंसिंग काफी एडवांस हो गयी है, यदि मशीनरी सक्रिय होती तो पूर्वानुमान से काफी तैयारी की जा सकती थी. कहीं-न-कही बिपरजॉय की आशंका से पूर्व तैयारी का अभाव एवं शिथिलता दिखी है अतः मेरा आग्रह है कि राजस्थान के आपदा प्रबंधन तंत्र को और ज्यादा पुष्ट करने की आवश्यकता है.