नई दिल्ली. देश-दुनिया में स्वास्थ्य कारणों से जैविक खाद्य पदार्थें की मांग दिनों-दिन बढती जा रही है. ऐसे में भारत में भी अधिक से अधिक अनाज, फल-सब्जियों का उत्पादन हो सके इसके लिए भारत सरकार जैविक खेती को बढावा देने लिए राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम चला रही है.
आर्गेनिक फार्मिंग एसोसिएशन आफ इंडिया की अध्यक्ष डॉ. सुजाता गोयल ने जैविक खेती के बारे में जानकारी देते हुए बताया ” जैविक उत्पादों की खेती रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग के बिना, एक पर्यावरणात्मक और सामाजिक उत्तरदायी दृष्टिकोण के साथ की जाती है. यह एक ऐसी खेती है जिसमें कार्य की शुरूआत जड़ से होती है और इसमें मृदा की उर्वरा शक्ति उत्तम पादप पोषण और मृदा प्रबंधन मूल रुप से संरक्षित रहती है, जिससे रोगों की प्रतिरोधक क्षमता वाले बेहतर पोषण पदार्थ उपजते हैं.
भारत में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकारी और स्वंयसेवी संस्थाओं की तरफ से कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है। भारत सरकार ने 10वीं पंचवर्षीय योजना में नेशनल सेंटर आफ आर्गेनिक फार्मिंग बनाकर नेशनल प्रोजेक्ट ऑन आर्गेनिक का एक पायलट प्रोजेक्ट बनाकर जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए काम शुरू किया। गाजियाबाद में नेशनल सेंटर आफ आर्गेनिक फार्मिंग की स्थापना करने के साथ ही पूरे भारत में जैविक खेती के लिए छह सेंटर खोला गया.
विश्व में जैविक खेती के मामले में भातर अभी 15वें स्थान पर है। जैविक प्रमाणीकरण के अंतर्गत देश में अभी कुल क्षेत्र 5.71 मिलियन हैक्टेयर में ही जैविक खेती की जा रही है, ऐसे में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए पिछले दिनों भारत सरकार की तरफ से राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एन.पी.ओ.पी) चलाया जा रहा है. इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में जैविक प्रमाणीकरण कार्यक्रम, जैविक उत्पादन के लिए मानदण्ड और जैविक खेती को बढ़ावा देना शामिल है.
भारत के जैविक कृषि उत्पादों की मांग यूरोपीय संघ, यूएस, कनाडा, स्विटज़रलैंड, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिणी पश्चिमी एशियाई देशों, मध्य पश्चिमी और दक्षिणी अफ्रीका में अधिक है भारत ने वर्ष 2015-16 के दौरान कुल 263687 मीट्रिक टन जैविक उत्पाद का निर्यात किया है. जिससे देश को कुल 298 मिलियन यू.एस. डॉलर मिले हैं.
देश में पिछले साल प्रमाणित जैविक उत्पादों का लगभाग 1.35 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन किया गया जिसमें खाद्य उत्पादों जैसे कि गन्ना, तिलहान, अनाज, बाजरा, कपास, दालें, औषधीय पौधे, चाय, मसाले, मेवे (ड्राईफ्रूट्स), सब्ज़ियां और कॉफी आदि शामिल हैं. यह उत्पादन केवल खाद्य उत्पादों तक ही सीमित नहीं है बल्कि जैविक कपास फाइबर का भी उत्पादन किया गया.
देश के सभी राज्यों में जैविक प्रमाणीकरण के अधीन सबसे अधिक जैविक खेती मध्य प्रदेश में होती है उसके बाद हिमाचल प्रदेश और राजस्थान का स्थान है. देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों के प्रगतिशील जैविक किसानों ने मिलकर वर्ष 2002 में आर्गेनिक फार्मिंग ऐसोसिएशन आफ इंडिया का गठन किया. जिसमें कर्नाटक की डॉ. सुजाता गोयल प्रेसीडेंट, गुजरात के कपिल शाह सचिव, कर्नाट के राघव कोषाध्यक्ष हैं. इसमें देश के कई वरिष्ठ किसान जुड़े हुए हैं. किसानों को जैविक खेती के लिए यह एसोसिएशन जागरूक करने के साथ ही प्रशिक्षण भी दे रहा है.