कांगड़ा (बैजनाथ). पंचायत टाइम्स की टीम मंडी से निकल कर अब कांगड़ा पहुंच चुकी है. कांगड़ा में हिमाचल की सबसे अधिक 15 विधानसभा सीटें आती हैं. यानी सरकार बनाने की जिम्मेदारी इसी जिले के ऊपर है.
कांगड़ा
भारतीय जनता पार्टी के अरमान पिछले चुनावों में इसी जिले में धूमिल हुए थे. वे यहां पर मात्र 3 सीटें जीत पाये थे. दूसरी तरफ कांग्रेस के हाथ 10 सीटें लगी थीं. जानकारों की माने तो पिछली बार भाजपा के यह हाल धूमल बनाम शांता गुट की लड़ाई की वजह से हुआ था. इस बार भाजपा की कन्फ्लिक्ट मनेजमेंट टीम ने ज्यादातर बागियों को मना कर बिठा दिया है हालांकि पालमपुर से अब भी भाजपा के एक बागी चुनाव लड़ रहे हैं.
बैजनाथ का राजनीतिक अतीत
इस बार हमारे संवाददाता राजन कांगड़ा की बैजनाथ सीट से लाइव हुए. उनके मुताबिक, यहां पर 1977 से कांग्रेस का कब्जा है केवल 1990 के एक छोटे से अंतराल में यह कब्जा टूटा. 2007 में यह सीट जनरल थी लेकिन 2009 में जो परिसीमन हुआ उसमे यह सीट अनुसूचित जाति के प्रत्याशियों के लिये आरक्षित हो गयी. 2007 से पहले यहां से संतराम नाम के एक सीनियर लीडर विधायक होते थे, उसके बाद उनके लड़के सुधीर शर्मा जो अभी धर्मशाला से विधायक हैं, वह यहां से विधायक बने.
सीट आरक्षित होने के बाद कांग्रेस से किशोरी लाल मैदान में उतरे और भाजपा ने मुल्क राज प्रेमी को चुनाव में उतारा. किशोरी लाल 21,800 मतों से विजयी हुए जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी 15,000 वोटों से दूसरे नंबर पर रहे. इसमें खेल बिगाड़ने वाली पार्टी रही हिमाचल लोकहित पार्टी (हिलोपा). कुल्लू के महाराज माहेश्वर सिंह द्वारा बनायी गयी इस पार्टी से ऊधो रामम जो कि 7000 के लगभग वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे.
कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल के साथ लाइव
पिछले 5 सालों के कार्यकाल में अपनी उपलब्धियों का जिक्र करते हुए किशोरी लाल कहते हैं कि इस क्षेत्र की सड़कें बनवाना उनकी प्रमुख उपलब्धि रही है. वह अब तक सड़कों पर 1 अरब खर्चा कर चुके हैं. बीड़ से बरोट तक की सड़क वह बनवा रहे हैं. इसके अलावा पानी की स्कीम और सरकारी डिग्री कॉलेज भी खोला जा चुका है. चड़यार सीट की उपतहसील के बारे में पूछने पर वह कहते हैं कि वह पहले ही खोल चुकी है. इसके बाद वह विभिन्न गांवों में चल रही सड़क परियोजनाओं के बारे में ब्योरा देते हैं. इस बार किशोरी लाल 10 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा करते हैं.