नई दिल्ली: वर्ष 1993 में लागू हुआ 73वां संविधान संशोधन ग्रामीण भारत में संघवाद की आत्मा को मजबूत करने वाला कदम माना जाता है। इस संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को कर लगाने, शुल्क वसूलने और अपने संसाधनों से आय जुटाने का अधिकार दिया, ताकि वे केंद्र और राज्य सरकारों की Grant-in-Aid पर कम निर्भर रहें।
राज्य पंचायत कानूनों के तहत, खासकर ग्राम पंचायतों (GPs) को Property Tax, Entertainment Tax, Vehicle Tax, जल व स्वच्छता से जुड़े User Charges और Common Property Resources (CPRs) से राजस्व जुटाने का अधिकार मिला।
Own Source Revenue (OSR): अधिकार तो मिले, लेकिन आमदनी क्यों नहीं बढ़ी?
इन वित्तीय अधिकारों के बावजूद, Own Source Revenue (OSR) जुटाने में पंचायतें आज भी संघर्ष कर रही हैं। RBI की PRI वित्त रिपोर्ट के अनुसार, पंचायतों की अपनी आय बेहद सीमित है और अधिकतर राज्यों में Property Tax ही सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है।
NIPFP की हालिया स्टडी बताती है कि संरचनात्मक खामियां, प्रक्रियागत जटिलताएं और स्पष्ट दिशा-निर्देशों की कमी OSR बढ़ाने में बड़ी बाधा हैं।
Property Tax Paradox: पंचायतों की आय का 40%, लेकिन GDP में सिर्फ 0.2%
देशभर में ग्राम पंचायतों की OSR का लगभग 40% हिस्सा Property Tax से आता है, फिर भी भारत का Property Tax-to-GDP Ratio सिर्फ 0.2% है, जो दुनिया में सबसे कम में से एक है (World Bank)।
इसके पीछे कई वजहें हैं उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में GPs को अब तक Property Tax लगाने की अनुमति नहीं कई राज्यों में Property Definition, Valuation और Rate Revision को लेकर अस्पष्टता, व्यावसायिक इमारतों पर Ownership Disputes, जिससे टैक्स वसूली हतोत्साहित होती है।
Clear Directives का असर: महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की मिसाल
जहां राज्यों ने स्पष्ट दिशा-निर्देश और तकनीकी सहयोग दिया, वहां नतीजे बेहतर रहे।
महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में Property Tax Collection में सुधार देखा गया।
विशेषज्ञों का सुझाव है:
- जिन पंचायतों के पास स्टाफ नहीं है, वहां House Area आधारित Flat Rates तय किए जाएं
- सक्षम पंचायतें इन सफल राज्यों के नियमों और संशोधनों को अपनाएं
Water & Sanitation Charges: सिस्टम बना, लेकिन पंचायतों को नहीं मिला नियंत्रण
ग्राम पंचायतों को Drinking Water और Solid Waste Management (SWM) के लिए User Charges वसूलने का अधिकार है, लेकिन हकीकत यह है कि:
- Jal Jeevan Mission, PHED, Rural Water Supply Department जैसी एजेंसियां सेवाएं संभाल रही हैं
- सिस्टम बनने के बाद भी Operation & Maintenance (O&M) पंचायतों को नहीं सौंपा गया
इस कारण पंचायतें कोई शुल्क वसूल नहीं कर पा रही हैं।
SHGs चला रही हैं सिस्टम, पंचायतें बाहर!
NIPFP के फील्ड सर्वे में सामने आया कि कई राज्यों में पानी और SWM सिस्टम:
- Users’ Associations
- Self Help Groups (SHGs)
द्वारा अनौपचारिक रूप से चलाए जा रहे हैं।
यदि इन सिस्टम्स को आधिकारिक रूप से पंचायतों को सौंपा जाए
