नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी की ओर से मिस्र के शरम-अल-शेख में होने वाले आगामी गाजा शांति सम्मेलन (Gaza Peace Summit) में शामिल होने के लिए आधिकारिक निमंत्रण प्राप्त हुआ है।
हालांकि, पीएम मोदी इस शिखर सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं होंगे। विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि भारत की ओर से केंद्रीय राज्य मंत्री किर्ती वर्धन सिंह इस उच्चस्तरीय सम्मेलन में भाग लेंगे।
यह सम्मेलन पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अल-सिसी की सह-अध्यक्षता में होगा। इसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों समेत 20 से अधिक देशों के नेता शामिल होंगे।
मिस्र में गाजा शांति सम्मेलन
मिस्र की सरकार सोमवार को रेड सी (लाल सागर) के तटीय शहर शरम-अल-शेख में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करेगी, जिसका उद्देश्य गाजा में जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए एक शांति समझौते को अंतिम रूप देना है।
मिस्र के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता ने शनिवार को इसकी जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में 20 से अधिक विश्व नेता शामिल होंगे, जिनमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शामिल हैं। यह सम्मेलन ट्रंप और राष्ट्रपति अल-सिसी की सह-अध्यक्षता में आयोजित होगा।
मिस्र के राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस सम्मेलन का उद्देश्य गाजा पट्टी में युद्ध समाप्त करना, मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय सुरक्षा के नए युग की शुरुआत करना है। यह सम्मेलन राष्ट्रपति ट्रंप की उस दृष्टि का हिस्सा है जिसमें वे दुनिया भर में संघर्षों को समाप्त कर शांति स्थापित करना चाहते हैं।
हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह सम्मेलन वास्तव में युद्ध को औपचारिक रूप से समाप्त कैसे करेगा।
इज़राइल ने कहा है कि वह तब तक युद्ध नहीं रोकेगा जब तक हमास पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता और गाजा पर उसका कोई नियंत्रण नहीं रह जाता।
हमास ने जताई नाराज़गी, नहीं होगा शामिल
हमास ने ऐलान किया है कि वह मिस्र में होने वाले गाजा शांति समझौते के आधिकारिक हस्ताक्षर कार्यक्रम में शामिल नहीं होगा।
हमास के राजनीतिक ब्यूरो सदस्य होस्साम बदरान ने कहा कि “समझौते के दूसरे चरण पर बातचीत कठिन हो सकती है, क्योंकि इसमें कई जटिल मुद्दे और मतभेद हैं।”
वहीं इज़राइल ने भी इस सम्मेलन में भाग नहीं लेने का फैसला किया है, और प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसकी कोई स्पष्ट वजह नहीं बताई।
युद्ध की पृष्ठभूमि
यह सम्मेलन 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इज़राइल पर हमले के बाद शुरू हुए संघर्ष के बीच हो रहा है, जिसमें दोनों पक्षों को भारी नुकसान झेलना पड़ा।
एक प्रारंभिक समझौते के तहत, इज़राइल 250 कैदियों और 1,700 गाजा निवासियों को रिहा करेगा, बदले में हमास 47 इज़राइली बंधकों को छोड़ेगा।
अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था
इस शांति प्रक्रिया के तहत एक बहुराष्ट्रीय टास्क फोर्स बनाई जाएगी, जिसका समन्वय अमेरिकी सेना करेगी। इसमें मिस्र, क़तर, तुर्की और यूएई जैसे देश शामिल हो सकते हैं।
हालांकि, इतने प्रयासों के बावजूद शांति का भविष्य अभी भी अनिश्चित है, क्योंकि प्रमुख पक्षों में निर्शस्त्रीकरण और गाजा के राजनीतिक नियंत्रण को लेकर मतभेद बने हुए हैं।