नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के संथाली भाषा संस्करण के विमोचन की सराहना की है। सोशल मीडिया पर साझा किए गए संदेश में प्रधानमंत्री ने इसे समावेशी लोकतंत्र की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
संवैधानिक जागरूकता को मिलेगा बढ़ावा
पीएम मोदी ने कहा कि संविधान का संथाली भाषा में उपलब्ध होना संवैधानिक समझ को गहराई देगा और लोकतांत्रिक भागीदारी को और मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में संविधान पढ़ने और समझने से आम लोगों का जुड़ाव लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से और बढ़ेगा।
संथाली संस्कृति पर देश को गर्व
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि देश को संथाली संस्कृति, उसकी समृद्ध परंपराओं और राष्ट्रीय विकास में संथाली समाज के योगदान पर गर्व है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदायों की भाषाओं और संस्कृतियों का संरक्षण और संवर्धन सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है।
समावेशी भारत की दिशा में अहम पहल
सरकार द्वारा संविधान को विभिन्न भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोकतंत्र की मूल भावना हर नागरिक तक पहुंचे। संथाली भाषा में संविधान का प्रकाशन इसी प्रयास का हिस्सा है, जिससे आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले लोग अपने अधिकारों और कर्तव्यों को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे।
राष्ट्रपति मुर्मू की विशेष पहल
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू स्वयं आदिवासी समुदाय से आती हैं और उन्होंने जनजातीय समाज को संवैधानिक मूल्यों से जोड़ने की दिशा में कई अहम पहल की हैं। संविधान का संथाली संस्करण जारी करना भी उसी क्रम की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
लोकतंत्र को मजबूत करने का संदेश
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कदम एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत करता है और देश की भाषाई विविधता को सम्मान देने का प्रतीक है। इससे न केवल लोकतंत्र सशक्त होगा, बल्कि समाज के हर वर्ग की भागीदारी भी सुनिश्चित होगी।
