नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को गाज़ा से सभी 20 इसराइली बंधकों की रिहाई का स्वागत किया और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के “अटल शांति प्रयासों (unwavering peace efforts)” की सराहना की। उन्होंने साथ ही इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की “मजबूत इच्छाशक्ति (strong resolve)” की भी प्रशंसा की।
मोदी ने कहा कि भारत राष्ट्रपति ट्रंप के क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने के सच्चे प्रयासों का समर्थन करता है।
दो साल बाद छूटे सभी इसराइली बंधक
हमास ने राष्ट्रपति ट्रंप की “Gaza Peace Plan” के पहले चरण के तहत दो साल की कैद के बाद सभी 20 बंधकों को रिहा किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (X) पर लिखा —
“दो साल की कैद के बाद सभी बंधकों की रिहाई का हम स्वागत करते हैं। उनकी आज़ादी उनके परिवारों के साहस, राष्ट्रपति ट्रंप के अटल शांति प्रयासों और प्रधानमंत्री नेतन्याहू की दृढ़ इच्छाशक्ति को सम्मान देती है। हम क्षेत्र में शांति लाने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के ईमानदार प्रयासों का समर्थन करते हैं।”
जीवित बंधकों और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई
गाज़ा में बचे हुए 20 जीवित इसराइली बंधक और सैकड़ों फिलिस्तीनी कैदी सोमवार को आज़ाद किए गए। यह कदम उस ceasefire (युद्धविराम) समझौते का हिस्सा है, जिसने दो साल से जारी संघर्ष को अस्थायी विराम दिया — एक ऐसा युद्ध जिसने गाज़ा पट्टी को तबाह कर दिया और दसियों हजार फिलिस्तीनियों की जान ले ली।
हमास ने यह भी कहा कि वह मारे गए 28 इसराइली बंधकों में से 4 के शव सौंपेगा, हालांकि बाकी शवों की वापसी की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
वहीं इसराइल ने पुष्टि की कि उसने 1,900 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया है।
तेल अवीव में जैसे ही टीवी चैनलों ने रेड क्रॉस के हवाले से बताया कि पहला समूह रिहा हो गया है, बंधकों के परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गई।
सरकारी फुटेज में दिखा कि मुक्त बंधक अपने परिवारों से गले मिलते हुए भावुक हो गए।
वेस्ट बैंक में भी दिखा जश्न का माहौल
वेस्ट बैंक के बीतुनिया (रामल्ला के पास) में उस वक्त जश्न का माहौल बन गया जब ओफर जेल से रिहा किए गए कैदियों को लेकर बसें पहुंचीं। यह रिहाई भी 1,900 कैदियों की व्यापक अदला-बदली के तहत हुई, जो गाज़ा युद्धविराम समझौते का हिस्सा है। इनमें 250 कैदी ऐसे हैं जिन्हें इसराइलियों पर हमलों में उम्रकैद की सज़ा मिली थी, जबकि 1,700 अन्य कैदी गाज़ा से बिना आरोप के हिरासत में लिए गए थे। अब इन्हें वेस्ट बैंक या गाज़ा भेजा जाएगा, जबकि कुछ को निर्वासन (exile) में भेजा जा सकता है।
थीम: “Peace in the Middle East”
यह कदम न केवल गाज़ा-इसराइल संघर्ष के इतिहास में बड़ा मोड़ माना जा रहा है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रपति ट्रंप की मध्य पूर्व शांति योजना (Middle East Peace Plan) के पहले ठोस नतीजे के रूप में देखा जा रहा है।