नई दिल्ली. झारखंड की आदिवासी राजनीति में एक बार फिर गर्माहट आ गई है। 21 मई को आयोजित होने वाली Tribal Advisory Council (TAC) की बैठक को लेकर भाजपा और जेएमएम के बीच राजनीतिक टकराव तेज हो गया है। इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता खुद मुख्यमंत्री हेंमत सोरेन करने वाले हैं।
BJP ने TAC बैठक से बनाई दूरी
BJP ने इस बार भी TAC मीटिंग का बहिष्कार किया है। पार्टी का आरोप है कि इस बार TAC का गठन राज्यपाल की अनुमति के बिना किया गया है, जो संविधान और परंपरा दोनों के खिलाफ है। इससे पहले भी BJP ने ऐसी बैठकों से खुद को अलग रखा है।यह वही परिषद है जिसे झारखंड में “Adivasi Mini Assembly” कहा जाता है और जो tribal issues पर राज्य सरकार को सलाह देती है।
JMM को मिला BJP पर हमला करने का मौका
BJP के TAC से दूरी बनाने के फैसले को Jharkhand Mukti Morcha (JMM) ने राजनीतिक हथियार बना लिया है। पार्टी के महासचिव और प्रवक्ता Vinod Pandey ने BJP पर आदिवासियों के हितों की अनदेखी का आरोप लगाया। उनका कहना है कि BJP की नजर हमेशा आदिवासी भूमि और प्राकृतिक संसाधन पर रहती है, न कि उनके हक और संस्कृति पर।
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास के कार्यकाल में सीएनटी-एसपीटी अधिनियम में बदलाव की कोशिश की गई थी, लेकिन जनविरोध और आंदोलन के कारण भाजपा को पीछे हटना पड़ा।
Tribal Votes पर BJP का कमजोर प्रदर्शन
जेएमएम इस मुद्दे को आने वाले चुनावों में भुनाने की तैयारी में है। पिछली Lok Sabha elections में BJP को झारखंड की सभी पांच tribal reserved constituencies में हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, Vidhan Sabha elections में भी पार्टी सिर्फ 28 में से 1 आदिवासी सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी थी।
इस कमजोर प्रदर्शन के बाद, TAC मुद्दा एक new political narrative बन सकता है जो आदिवासी समुदाय को सीधे प्रभावित करता है।
पूर्व मुख्यमंत्री Champai Soren का भी तीखा बयान
पूर्व मुख्यमंत्री Champai Soren ने भी इस मुद्दे पर BJP और राज्य सरकार दोनों को घेरा। उन्होंने कहा कि TAC का गठन सदैव Governor की देखरेख में होता रहा है, लेकिन हेमंत सरकार ने इस परंपरा को तोड़ा है।
उन्होंने TAC की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले कई वर्षों से PESA Act और अन्य tribal matters पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है, जिससे सरकार की कार्यशैली पर संदेह होता है।
शराब दुकानों का लाइसेंस बना विवाद का नया मुद्दा
TAC की इस बैठक में एक अहम मुद्दा tribal-dominated villages में liquor shops और bars को लाइसेंस देना है। इस पर Champai Soren ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि वे खुद anti-alcohol campaigns से सामाजिक जीवन में आए थे, ऐसे में किसी ऐसी मीटिंग में शामिल नहीं हो सकते जो युवाओं को नशे की ओर धकेले।
Tribal Advisory Council (TAC) की बैठक ने झारखंड की राजनीति में नया मोर्चा खोल दिया है। BJP के बहिष्कार ने JMM को आदिवासी हितों के नाम पर राजनीतिक धार देने का मौका दे दिया है। आने वाले समय में यह मुद्दा tribal vote bank और electoral narrative को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है।