शिलाई (सिरमौर). सरकार के माध्यम से देशभर में स्वच्छता को लेकर अलख जगाई जा रही है. जिसके चलते शहर तथा गांव को साफ व स्वच्छ रखा जा रहा है, लेकिन राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला शिलाई की स्कूल प्रबंधन के लिए सरकार का यह अभियान कोई मायने नहीं रखता है.
आलम यह है कि पाठशाला के अंदर सरकार ने शौचालय तो बनाए गए है, लेकिन हालात इतने बदत्तर है कि शौचालयों में शौच करना तो दूर पास से गुजरना भी दूभर हो गया है. स्कूल की ऐसी दशा को देखकर विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े हो रहे है.
पूरा मामला
सीनियर सेकेंडरी स्कूल शिलाई में विभाग द्वारा लड़के व लड़कियों के लिए अलग अलग 8- 8 शौचालय बनाए गए है. लाखों रुपये खर्च करने के बाद स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के लिए सुविधा उपलब्ध करवाई गई है. लेकिन इन शौचालयों में गंदगी के ढेर लगे हुए है. स्कूल प्रबन्ध इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. इतना ही नहीं बल्कि इन शौचालयों के बहार बीड़ी सिगरेट के टोटे व गुटखा थूकने के धब्बे लगे है. जिससे स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों पर भी सवाल उठ रहे है.
स्कूल में ही जब बच्चे बीड़ी व सिगरेट पी रहे है तो शिक्षक किस तरह की शिक्षा प्रदान कर रहे है. स्कूल खेल मैदान के दोनों कोणों में बने शौचालय स्कूल के नियमो व शिक्षको की पोल खोल रहे है ऐसे में अच्छी शिक्षा की कैसे उमीद की जा सकती है. बरहाल स्कूल की कार्यप्रणाली कटखरे आ गई है.
अभिभावकों में रोष
क्षेत्र के रतन सिंह, मोहन सिंह, कल्याण सिंह, दौलत राम, धर्म सिंह, धनवीर सिंह, यशपाल ठाकुर, जालम सिंह, रमेश कुमार, विनोद कुमार, राकेश कुमार, अमित कुमार, केवल राम, ने बताया कि स्कूल की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. स्कूल में फैली गंदगी भी किसी से छिपी नही है. स्कूल प्रबंधन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. कई बार शिकायते की गई है लेकिन स्कूल के शिक्षक केवल राजनीति में ही मशगूल है सफाई व बच्चो की पढ़ाई में कोई ध्यान नही दे रहे है. जिससे उन्हें अब बच्चो को स्कूल भेजना भी मुश्किल हो रहा है. उन्होंने बताया कि आगामी एसएमसी बैठक में सफाई को लेकर प्रबन्धन समिति को बताया जाएगा ओर स्कूल प्रशासन की खिंचाई की जाएगी. बात न बनी तो स्कूल के शिक्षकों सहित अधिकारियों के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा.
बच्चों की मानसिकता पर असर
शौचालय में शौच के ढेर व गंदगी के होने से बच्चों की मानसिकता पर गहरा असर पड़ता है ! शौच की दुर्गंध से सिरदर्द तो होता ही है साथ ही अधिक गंदगी में पैरालाइज के शिकार भी हो सकते है. इससे बच्चों की पढ़ाई पर भी गहरा असर पड़ता है. मानसिकता कमजोर होती है तो दिमाग अपनी क्षमता खो देता है और यादाश्त भी कम होने लगती है. लेकिन स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की किसी को कोई परवाह नही है.
बच्चे नशे की जद में
शिलाई स्कूल में पड़ रहे बच्चे लगातार नशे की लत के शिकार हो रहे है खासकर 10वी से 12 वीं में पढ़ रहे बच्चे नशीले पदार्थो के शिकार हो रहे है इसका जीता जागता उदाहरण स्कूल परिसर में बने शौचालय है जिनके बहार बीड़ी सिगरेट के टोटो के ढेर लगे हुए है, लेकिन स्कूल प्रबन्ध व शिक्षक इस ओर कोई ध्यान नही दे रहा है जिससे क्षेत्र का भविष्य खतरे में नज़र आ रहा है.
चुनिंदा स्कूलों में आता है शिलाई स्कूल
सीनियर सेकेंडरी स्कूल शिलाई क्षेत्र का सबसे बड़ा स्कूल तथा जिला में गिनेचुने स्कूलों में आता है स्कूल में लगभग 1 हज़ार बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है. जिनकी देखरेख व शिक्षा प्रदान करने करने वाले शिक्षकों की जनसंख्या 3 दर्जन से भी ज्यादा है. इस स्कूल से अन्य क्षेत्र के सभी स्कूल व बच्चे शिक्षा लेते है लेकिन इसी स्कूल की ऐसी हालत है तो बाकी स्कूलों का अनुमान स्वतः ही लगाया जा सकता है.
सख्त कार्रवाई की जाएगी
स्कूल की प्रबंधन समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश तोमर ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि उनके पास शौचालय में गंदगी होने की कोई शिकायत नहीं है लेकिन फिर भी अपने स्तर पर शौचालयों को चेक किया जाएगा. यदि गंदगी हुई तो समिति इस पर सख्त कार्रवाई करेगी और विभाग के उच्चाधिकारियों को इस बारे अवगत करवाया जाएगा.
स्कूल के शौचालय साफ सुथरे हैं
सीनियर सेकेंडरी स्कूल शिलाई के प्रिंसिपल हेमंत कुमार की माने तो उनका कहना है कि स्कूल में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है. स्कूल के शौचालय साफ सुथरे है शौचालय में स्वीपर तो नही है लेकिन उन्होंने अतिरिक्त कर्मी लगाए है और शौचालय को साफ करते है.