नई दिल्ली. भारत की ग्रामीण अवसंरचना को नई दिशा देने वाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) ने आज अपने 25 वर्ष पूरे कर लिए हैं। 25 दिसंबर 2000 को शुरू की गई इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य देश के उन ग्रामीण इलाकों को ऑल-वेदर रोड कनेक्टिविटी से जोड़ना था, जो दशकों तक सड़क सुविधा से वंचित रहे। बीते ढाई दशकों में यह योजना ग्रामीण विकास, कृषि विस्तार, रोजगार सृजन और गरीबी उन्मूलन की रीढ़ बनकर उभरी है।
योजना की शुरुआत से अब तक 8 लाख 25 हजार किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों को स्वीकृति दी जा चुकी है, जिनमें से 7 लाख 87 हजार किलोमीटर से ज्यादा सड़कें पूरी हो चुकी हैं। यह उपलब्धि दर्शाती है कि देश में लगभग 96 प्रतिशत स्वीकृत ग्रामीण सड़क नेटवर्क जमीन पर उतर चुका है। इससे गांवों की बाजारों, शिक्षा संस्थानों, स्वास्थ्य सेवाओं और प्रशासनिक केंद्रों तक सीधी पहुंच सुनिश्चित हुई है।
कृषि-प्रधान और आकांक्षी जिलों की कनेक्टिविटी को प्राथमिकता
केंद्र सरकार ने हाल के वर्षों में इस योजना के लिए बजटीय समर्थन को और मजबूत किया है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए करीब 19 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। वहीं, PMGSY के चरण-IV के तहत 2024-25 से 2028-29 के बीच 62,500 किलोमीटर नई सड़कों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कुल वित्तीय परिव्यय निर्धारित किया गया है। यह चरण खासतौर पर कृषि-प्रधान और आकांक्षी जिलों की कनेक्टिविटी को प्राथमिकता देगा।
योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए OMMAS (Online Management, Monitoring and Accounting System) की अहम भूमिका रही है। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए राज्यों में परियोजनाओं की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग, भौतिक और वित्तीय प्रगति की निगरानी तथा पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है। इससे समय पर परियोजनाएं पूरी करने और गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिली है।
पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए PMGSY के तहत सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन मटीरियल के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। सड़कों के निर्माण में फ्लाई ऐश, स्लैग, कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन वेस्ट, वेस्ट प्लास्टिक, जियोसिंथेटिक्स और बायो-बिटुमेन जैसे पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों को अपनाया जा रहा है, जिससे लागत में कमी के साथ कार्बन फुटप्रिंट भी घट रहा है।
कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने न केवल गांवों को सड़कों से जोड़ा है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को रफ्तार, किसानों को बेहतर बाजार, छात्रों को शिक्षा और मरीजों को समय पर इलाज की सुविधा दी है। 25 वर्षों की यह यात्रा PMGSY को समावेशी विकास (Inclusive Growth) का एक मजबूत मॉडल बनाती है, जो आने वाले वर्षों में भी ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलती रहेगी।
