नई दिल्ली. अक्सर गुजराती में बात करते नजर आने वाले भरत सिंह सोलंकी पूर्व सीएम माधव सिंह सोलंकी के बेटे हैं. फिलहाल भरत गुजरात में कांग्रेस की नैया पार कराने का प्रयास कर रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भाजपा की 22 साल की बादशाहत को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. व्यक्ति विशेष के इस अंक में हम जानेंगे कांग्रेस के उभरते सितारे भरत सिंह सोलंकी की कहानी.
राहुल और भरत की जोड़ी-गुजरात चुनाव
2015 से गुजरात कांग्रेस की बागडोर भरत सिंह सोलंकी के हाथ में है. लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद अर्जुन मोढवाडिया ने अपने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. उसके बाद सोलंकी को सामने लाया गया. राहुल गांधी और भरत सिंह सोलंकी में अच्छी ट्यूनिंग समझी जा रही है. राहुल गांधी भी 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. वहीं पूरे जोश के साथ उनका साथ दे रहे हैं भरत सिंह सोलंकी.
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मनमोहन सरकार में ऊर्जा राज्यमंत्री
2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में लगातार जीतने वाले सोलंकी 2014 में आणंद सीट से हार जाते हैं. 1995 से लगातार तीन बार विधायक चुन कर आने वाले सोलंकी अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. मनमोहन सिंह की सरकार में इन्हें ऊर्जा राज्यमंत्री का कार्यभार संभालने का मौका मिला. 2004 से 2006 के बीच भरत ऑल इंडिया कमेटी में सचिव रह चुके हैं. बहुत कम लोग जानते होंगे कि भरत प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य रह चुके हैं.
पिता को मानते हैं आदर्श
भरत सिंह सोलंकी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर लिखते हैं कि जब शिक्षा, जुनून, करियर और सपने सब एक ही दिशा में आगे बढ़ें तो हम जो भी करते हैं वह हमें आनंद ही देता है. आगे वह अपने पिता की तारीफ करते हुए कहते हैं कि उनके पिता माधव सिंह सोलंकी सबसे सफलतम मुख्यमंत्रियों में से एक हैं. भरत कहते हैं कि उनका आदर्श कोई और नहीं उनके पिता ही हैं. जिनके आदर्शों पर चल कर वह राजनीति में अपनी पारी खेल रहे हैं.
खेलना और घूमना-फिरना पसंद
63 साल के भरत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. उन्हें युवा मामलों, सामाजिक न्याय और पर्यावरण में खास दिलचस्पी है. उन्होंने कई देशों की यात्राएं की हैं. कई समितियों की अध्यक्षता कर चुके हैं. बास्केटबॉल, फुटबॉल और टेनिस खेलना पसंद है. इसके साथ ही इन्हें तैरना (स्वीमिंग) भी अच्छा लगता है. इन्हें किताबें पढ़ना, घूमना-फिरना बेहद पसंद है. गुजरात में भाजपा को हराना इतना आसान नहीं होगा. अब देखना होगा कि भरत सिंह सोलंकी को अपने पिता की तरह गुजरात की गद्दी संभालने का मौका मिलता है या नहीं.