नई दिल्ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज झारखंड के जमशेदपुर स्थित करनडीह क्षेत्र के Dishom Jaherthan में संथाली भाषा की Ol Chiki script के शताब्दी समारोह में शामिल हुईं। इस अवसर पर उन्होंने परंपरागत रूप से Jaherthan में पूजा-अर्चना की और ओलचिकी लिपि के जनक माने जाने वाले पंडित रघुनाथ मुर्मू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
Santhali भाषा में दिया संबोधन
राष्ट्रपति मुर्मू ने 22वें पारसी महा संथाली सम्मेलन (Parsi Maha Santhali Sammelan) को अपनी मातृभाषा Santhali में संबोधित किया। उन्होंने Ol Chiki script में संविधान के अनुवाद के प्रयासों की सराहना की और कहा कि यदि भविष्य में इस लिपि में translation tools और AI applications विकसित किए जाएं तो उन्हें अत्यंत खुशी होगी।
राष्ट्रपति वेबसाइट Ol Chiki में देखने की जताई इच्छा
राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में Presidential website भी ओलचिकी लिपि में उपलब्ध हो, जिससे संथाली भाषा को और अधिक प्रोत्साहन मिलेगा। इस अवसर पर उन्होंने संथाली भाषा में “Jaher Aayo Nehor” गीत भी गाया।
Pandit Raghunath Murmu को दी श्रद्धांजलि
राष्ट्रपति ने कहा कि ओलचिकी लिपि के शताब्दी समारोह का आयोजन Pandit Raghunath Murmu के अथक प्रयासों का ही परिणाम है। उन्होंने ओलचिकी लिपि में लेखन करने वाले लेखकों को भी सम्मानित किया।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने की सराहना
झारखंड के राज्यपाल Santosh Kumar Gangawar और मुख्यमंत्री Hemant Soren ने भी All India Santhali Writers Association के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से Santhali language और Ol Chiki script को वैश्विक पहचान मिली है।
