नई दिल्ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े तबकों के सशक्तिकरण को लोकतंत्र की सफलता की कसौटी बताया है. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि किसी व्यक्ति या समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाये बिना अपनी अभिव्यक्ति को जाहिर करना चाहिये. हालांकि उन्होंने किसी खास संदर्भ का जिक्र नहीं किया. उन्होंने कहा कि एेसे ही उदारतापूर्ण व्यवहार को ही भाईचारा कहते हैं.
संविधान निर्माताओं को याद करते हुये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, “हम सौभाग्यशाली हैं कि उस दौर ने हमें गणतंत्र के रूप में अनमोल विरासत दी है. उन्होंने पल भर भी आराम नहीं किया. बल्कि दुगने उत्साह के साथ संविधान बनाने के महत्त्वपूर्ण कार्य में पूरी निष्ठा के साथ जुट गए. उनकी नजर में हमारा संविधान, हमारे नए राष्ट्र के लिए केवल एक बुनियादी कानून ही नहीं था, बल्कि सामाजिक बदलाव का एक दस्तावेज था.”
उन्होंने कहा, “हमारे संविधान निर्माता बहुत दूरदर्शी थे. वे ‘कानून का शासन’ और ‘कानून द्वारा शासन’ के महत्त्व और गरिमा को भली-भांति समझते थे. वे हमारे राष्ट्रीय जीवन के एक अहम दौर के प्रतिनिधि थे.”
राष्ट्रपति बनने के बाद गणतंत्र दिवस पर रामनाथ कोविंद पहली बार देश को संबोधित कर रहे थे.
 
								 
         
         
         
        