नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित 5वें राष्ट्रीय मुख्य सचिव सम्मेलन की अध्यक्षता की। यह तीन दिवसीय सम्मेलन 26 दिसंबर से शुरू हुआ है, जिसका उद्देश्य केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को मजबूत करना और राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं पर संरचित व सतत संवाद को बढ़ावा देना है।
सहकारी संघवाद की भावना पर आधारित सम्मेलन
प्रधानमंत्री के सहकारी संघवाद के विजन पर आधारित यह सम्मेलन केंद्र और राज्यों को एक साझा मंच प्रदान करता है, जहां मिलकर देश के विकास के लिए एकीकृत रोडमैप तैयार किया जाता है। इसका लक्ष्य देश की मानव पूंजी क्षमता का अधिकतम उपयोग करना और समावेशी व भविष्य के लिए तैयार विकास को गति देना है।
‘विकसित भारत के लिए मानव पूंजी’ थीम पर मंथन
इस वर्ष सम्मेलन की थीम ‘Human Capital for Viksit Bharat’ (विकसित भारत के लिए मानव पूंजी) रखी गई है। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए बेहतरीन कार्यप्रणालियों और रणनीतियों पर चर्चा की जा रही है, ताकि शिक्षा, कौशल और प्रतिभा विकास को नई दिशा दी जा सके।
पांच प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष फोकस
सम्मेलन में पांच अहम क्षेत्रों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया जा रहा है, जिनमें—
प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा
स्कूली शिक्षा
कौशल विकास (Skilling)
उच्च शिक्षा
खेल और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियां
शामिल हैं।
छह विशेष सत्रों में नीतिगत रणनीतियों पर चर्चा
सम्मेलन के दौरान छह विशेष सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें—
राज्यों में डी-रेगुलेशन
गवर्नेंस में तकनीक: अवसर, जोखिम और समाधान
स्मार्ट सप्लाई चेन और बाजार संपर्क के लिए AgriStack
One State, One World-Class Tourist Destination
आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी
वामपंथी उग्रवाद के बाद की रणनीतियां
जैसे अहम विषयों पर मंथन हो रहा है।
केंद्र-राज्य समन्वय से विकास को मिलेगी नई गति
यह सम्मेलन केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर नीति निर्माण को प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में तेजी लाई जा सके।
