नई दिल्ली. एक तरफ जहां सरकार कृषि को बढ़ावा देने लिए बहुत सारी योजनाएं और उपाय करने का दावा कर रही ळै वहीं दूसरी तरफ हकीकत यह है कि खेती से किसान दूर हो रहा है. रबी सीजन में इस साल बुवाई पिछले साल के मुकाबले कम है जो सरकार के लिए चिंताजनक बात है.
कृषि विभाग की तरफ से जारी किए ताजा आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में अभी तक राज्यों से प्राप्त आरंभिक रिपोर्टों के अनुसार 2 फरवरी, 2018 तक 632.34 लाख हेक्टेयर भूमि पर रबी की बुवाई की गई, जबकि पिछले वर्ष 2017 में इसी अवधि तक 641.72 लाख हेक्टेयर भूमि पर बुवाई की गई थी.
देश में अभी तक गेहूं 300.70 लाख हेक्टेयर, धान 28.61 लाख हेक्टेयर, दालें 166.47 लाख हेक्टेयर और मोटे अनाज 56.27 लाख हेक्टेयर भूमि पर बोए या रोपे गए हैं. इस सीजन में 80.29 लाख हेक्टेयर भूमि पर तिलहनों की बुवाई भी की गई. रबी सीजन में बुवाई कम होने से इस साल अनाज का उत्पादन भी कम हो सकत है, ऐसे में सरकार ने अभी से गोदाम में रखे अनाजों की सुरक्षित रखने के लिए कई कदम उठाने का दावा कर रही है.
शुक्रवार को राज्यसभा में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री सी.आर. चौधरी ने बताया कि सभी गोदाम वैज्ञानिक दृष्टि से बनाए गए हैं। उचित ऊंचाई से कतरने वाले जानवरों से रक्षा तथा ऊंचे पक्के फर्श उपलब्ध कराए गए. भंडारण व्यवहार की वैज्ञानिक संहिता को अपनाते हुए अनाजों का भंडारण किया गया है.
उन्होंने बताया कि अनाजों को जमीन की नमी से बचाने के लिए लकड़ी के टोकरे, बांस की चटाइयां तथा पॉलीथीन शीट उपयोग में लाए गए हैं.
भंडार में रखे गए अनाजों से उत्पन्न कीटाणुओं को नियंत्रित करने के लिए धुंए का कोहरा, नायलॉन रोप तथा जाल उपलब्ध कराए हैं. भंडार में रखे गए अनाजों से उत्पन्न कीड़े-मकोड़ों को नियंत्रित करने के लिए गोदाम में नियमित रूप से क्रीमीनाशी का छिछ़काव किया जा है और निवारक इलाज किए हैं. छत वाले गोदामों तथा सीएपी भंडारण दोनों में चूहों को नियंत्रित करने के लिए कारगर उपाय किए गए हैं.