नई दिल्ली. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा और पंजाब के बीच भाखड़ा बांध के पानी के बंटवारे के विवाद पर बोलते हुए कहा कि उनकी सरकार बांध सुरक्षा अधिनियम को खत्म कर रही है और पंजाब अपना खुद का अधिनियम लाएगा, क्योंकि हम अपने बांधों की सुरक्षा करना जानते हैं।
20 मई की रात को पानी मिलेगा
भगवंत मान ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार, उन्होंने (हरियाणा ने) 31 मार्च तक अपने हिस्से का पानी इस्तेमाल कर लिया। फिर भी, हम उन्हें पीने का पानी मुहैया करा रहे हैं। उन्हें 20 मई की रात को पानी मिलेगा। 15 दिनों तक उन्हें अपनी गलती का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। हमने उन्हें छह पत्र लिखे थे। हर महीने एक बैठक होती थी, और हम उन्हें हर महीने लिखते थे कि इस बार उनका पानी का हिस्सा खत्म हो जाएगा । फिर भी, उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया।
बांध सुरक्षा अधिनियम को खत्म कर दिया
पंजाब ने बांध सुरक्षा अधिनियम को खत्म कर दिया। उन्होंने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड का आचरण तानाशाहीपूर्ण है, जिसका कड़ा विरोध किया गया है और कहा गया है कि बीबीएमबी सफेद हाथी बन गया है, क्योंकि पंजाब खर्च वहन करता है, लेकिन राज्य को दरकिनार कर निर्णय पारित किए जाते हैं। इस बीच पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहे जल विवाद पर सर्वसम्मति से कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए।
पंजाब सरकार ने कहा कि वह अपने हिस्से का एक बूंद पानी भी हरियाणा को नहीं देगी, क्योंकि वह मानवीय आधार पर 4 हजार क्यूसेक पानी दे रही है, इसे जारी रखा जाएगा। पंजाब विधानसभा ने निर्णय लिया कि चूंकि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) केंद्र सरकार की कठपुतली बन गया है, इसलिए नए बोर्ड का पुनर्गठन किया जाना चाहिए।
सतलुज, ब्यास और रावी नदियां पंजाब से होकर ही बहती हैं
सतलुज, ब्यास और रावी नदियां पंजाब से होकर ही बहती हैं और 1981 में जल समझौते के समय जितना पानी था, वह अब नहीं रहा। ऐसे में इन नदियों के पानी के बंटवारे के लिए नया समझौता किया जाना चाहिए। बीबीएमबी की बैठक बुलाने के नियम हैं। लेकिन बोर्ड कानून का पालन नहीं कर रहा है। अवैध रूप से रात में बैठक बुलाई जा रही है। विधानसभा का निर्देश है कि बीबीएमबी नियमों का पालन करे। भाखड़ा बांध से किस राज्य को कितना पानी दिया जाना है, यह 1981 की जल संधि में लिखा है। बीबीएमबी को इसमें बदलाव करने का कोई अधिकार नहीं है और अगर वह कोई निर्णय लेता है तो वह असंवैधानिक है। विधानसभा ने बीबीएमबी को ऐसे निर्णय लेने से परहेज करने का निर्देश दिया।