नई दिल्ली. राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को Students’ Union Elections in Rajasthan को लेकर अहम टिप्पणी करते हुए चालू शैक्षणिक सत्र में छात्रसंघ चुनाव कराने के निर्देश देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस समय चुनाव कराने से academic schedule, परीक्षाओं और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों में “अनावश्यक व्यवधान” हो सकता है। हालांकि, कोर्ट ने आने वाले वर्षों के लिए prospective directions जारी करते हुए एक स्पष्ट रोडमैप जरूर तय किया।
इस शैक्षणिक सत्र में चुनाव क्यों नहीं?
याचिकाओं को premature बताते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि कुछ चुनिंदा छात्र, जिनके पास कोई representative mandate नहीं है, वे पूरे राज्य के लाखों छात्रों की ओर से बोलने का दावा नहीं कर सकते।
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि याचिकाकर्ताओं ने पहले विश्वविद्यालय की आंतरिक संस्थाओं—जैसे Dean, Student Welfare या निर्धारित Election Bodies—से संपर्क नहीं किया।
न्यायालय के अनुसार, जब तक कोई पूर्व शिकायत, प्रतिकूल निर्णय या औपचारिक प्रतिनिधित्व नहीं होता, तब तक मामला judicial review के दायरे में नहीं आता।
HC की सख्त टिप्पणी: कोर्ट आखिरी विकल्प हो
जस्टिस समीयर जैन की पीठ ने साफ कहा कि संवैधानिक अदालतों का सीधे रुख करना, बिना उपलब्ध संस्थागत उपायों को अपनाए, एक अपवाद होना चाहिए, नियम नहीं।
19 जनवरी 2026 को सुनवाई के निर्देश
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और Rajasthan University को निर्देश दिया है कि वे 19 January 2026 को याचिकाकर्ताओं और अन्य इच्छुक/प्रभावित छात्रों को प्रभावी सुनवाई का मौका दें।
इस बैठक का आयोजन विश्वविद्यालय के Vice-Chancellor या Dean, Student Welfare द्वारा तय स्थान पर किया जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि इस प्रक्रिया के बाद छात्र प्रतिनिधियों और संबद्ध कॉलेजों से परामर्श कर, आने वाले शैक्षणिक सत्रों के लिए Students’ Union Elections Framework तैयार किया जाए, जो मौजूदा कानून और नियमों के अनुरूप हो।
Lyngdoh Committee और पारदर्शिता पर जोर
यह निर्देश छात्र जय राव (24) सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिए गए। याचिकाओं में Lyngdoh Committee Recommendations के पालन और सत्र शुरू होने के 6–8 हफ्तों के भीतर चुनाव कराने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने सरकार और विश्वविद्यालयों को निर्देश दिए कि Students’ Union Election Boards का गठन/संचालन सुनिश्चित किया जाए,शिकायतों की सुनवाई में natural justice के सिद्धांतों का पालन हो,छात्र गतिविधियों और चुनाव के नाम पर ली जाने वाली फीस का proper accounting & utilisation हो आमतौर पर March में election calendar जारी किया जाए और उसका सख्ती से पालन हो किसी भी बदलाव के लिए लिखित और ठोस कारण दर्ज हों।
ECI को भी अहम निर्देश: पढ़ाई न हो प्रभावित
शैक्षणिक गतिविधियों में बाधा कम करने के उद्देश्य से हाईकोर्ट ने Election Commission of India (ECI) और सिविल प्रशासन को भी निर्देश दिए।
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को, जहां तक संभव हो, polling duties के लिए अधिग्रहित न किया जाए
वैकल्पिक स्थानों जैसे community halls या सरकारी इमारतों का उपयोग किया जाए
चुनाव की योजना बनाते समय academic calendar को ध्यान में रखा जाए
सरकार का पक्ष: चुनाव कराना कोई मौलिक अधिकार नहीं
राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि मतदान या चुनाव में हिस्सा लेना केवल एक statutory right है, न कि ऐसा अधिकार जिससे किसी निश्चित समय पर चुनाव कराना अनिवार्य हो जाए।
सरकार ने यह भी कहा कि कुछ याचिकाकर्ता पूरे छात्र समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते।
तथ्यों के मुताबिक, राजस्थान में:
28 राज्य-वित्तपोषित विश्वविद्यालय
53 निजी विश्वविद्यालय
596 सरकारी कॉलेज
सिर्फ राजस्थान विश्वविद्यालय में ही लगभग 26,500 छात्र
NEP और पहले भी टले छात्रसंघ चुनाव
भजनलाल शर्मा सरकार ने भी पहले की Ashok Gehlot Government की तरह National Education Policy (NEP) और Lyngdoh Committee norms के उल्लंघन का हवाला देते हुए इस साल छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने का फैसला किया था।
2023 में, जब राज्य में विधानसभा चुनाव थे, तब भी कांग्रेस सरकार ने इसी तरह छात्रसंघ चुनाव टाल दिए थे।
इस साल नहीं, लेकिन भविष्य के लिए साफ दिशा
राजस्थान हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि Students’ Union Elections 2025 पर कोई आदेश नहीं होगा, लेकिन आने वाले वर्षों में चुनाव कैसे और कब हों इस पर एक clear, transparent और accountable framework जरूर लागू किया जाएगा।
