नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि संघ और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच कोई दरार (rift) नहीं है। उन्होंने कहा कि संघ किसी भी मुद्दे पर सलाह (advice) दे सकता है, लेकिन अंतिम निर्णय (final decision) BJP लेगी। भागवत ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के साथ संघ का समन्वय (coordination) अच्छा है।
भागवत ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम हर सरकार, चाहे वह राज्य की हो या केंद्र की, के साथ अच्छे समन्वय में हैं। प्रणाली में कभी-कभी आंतरिक विरोधाभास होते हैं, लेकिन हमें नेतृत्व को स्वतंत्रता देनी चाहिए। किसी भी जगह पर झगड़ा नहीं है। RSS और BJP का लक्ष्य समान है – देश की भलाई।”
RSS सिर्फ सलाह देती है, निर्णय BJP का
भागवत ने कहा कि RSS सरकार नहीं चलाती, यह सिर्फ सलाहकार है। “हम निर्णय नहीं लेते। अगर हम निर्णय ले रहे होते तो इतना समय क्यों लगता? हम सबकी मदद करते हैं, केवल BJP की नहीं। नई BJP अध्यक्ष पर निर्णय में देरी हो रही है, लेकिन यह पूरी तरह से गलत धारणाएं हैं।”
विभाजन (Partition) और संघ की भूमिका
भागवत ने यह भी कहा कि यह गलत है कि RSS ने विभाजन के खिलाफ विरोध नहीं किया। “संघ ने इसका विरोध किया था, लेकिन उस समय संघ की शक्ति सीमित थी। अखंड भारत हमारी सच्चाई है।”
Population Policy: हर परिवार में तीन बच्चे
मोहन भागवत ने भारत के जनसंख्या नीति (Population Policy) पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि प्रत्येक भारतीय परिवार में कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए। उन्होंने कहा कि 2.1 से कम fertility rate वाले समाज धीरे-धीरे विलुप्त हो जाते हैं, जिससे भाषाएं, संस्कृति और समुदाय गायब हो सकते हैं।
Gurukul शिक्षा का Mainstream में समावेश
भागवत ने Gurukul शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा (Mainstream Education) से जोड़ने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि गुरुकुल केवल आश्रम जीवन नहीं है, बल्कि देश की परंपरा, संस्कृति और इतिहास सीखने का माध्यम है। उन्होंने फिनलैंड के शिक्षा मॉडल का उदाहरण दिया, जिसमें mother tongue education और teacher training पर जोर है।
भागवत ने कहा, “Gurukul शिक्षा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए, उसे प्रतिस्थापित नहीं किया जाना चाहिए। 64 वेदिक पहलुओं को मुख्यधारा की शिक्षा में शामिल किया जाना चाहिए।”
भारत की शैक्षिक विरासत और राष्ट्रीय गौरव
भागवत ने कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की शिक्षा प्रणाली प्रभावित हुई। स्वतंत्रता के बाद भारत को अपनी शैक्षिक और सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने बच्चों को देश के गौरवशाली इतिहास और परंपरा से अवगत कराने की आवश्यकता बताई, ताकि वे आत्मविश्वास और सम्मान के साथ देश को आगे बढ़ा सकें।
राष्ट्रीय ताकत और भविष्य
भागवत ने कहा कि देश की क्षमताओं पर विश्वास फैलाना आवश्यक है। उन्होंने हाल के विकास की तारीफ की और देश में आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ देशी ज्ञान और मूल्य को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया, ताकि नई पीढ़ी सशक्त बन सके।
