सोलन : आज कल ट्रेन की बर्थ हो या सोलन के अस्पताल दोनों एक समान प्रतीत हो रहे हैं. जिस तरह से ट्रेन की एक बर्थ पर दो – दो लोग सवार होते हैं. ठीक उसी तरह से सोलन के अस्पताल में दो रोगियों पर एक बैड मुहैया कराया जाता है. इस कारण उनका उचित ईलाज नहीं हो पा रहा है. इस कारण रोगियों को एक दूसरे से इन्फेक्शन होने का भी डर रहता है.
इस व्यवस्था को लेकर रोगियों का कहना है कि सरकारें बड़े-बड़े दावे करती है कि वह अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रही है, लेकिन अस्पताल की वास्तविकता और व्यवस्था से जूझते रोगियों की परिशानियों ने सरकार की पोल खोल रही है. अस्पताल में भर्ती रोगियों के साथ आए परिजनों के ठहरने की भी कोई व्यवस्था नहीं है. इस कारण उनके बीमार होने की सम्भावना बनी हुई है.