नई दिल्ली. PM Modi की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी सोसायटी (PMML) की बैठक में सोनिया गांधी द्वारा जवाहरलाल नेहरू से जुड़े दस्तावेज़ वापस लेने के विवाद को लेकर अहम फैसला लिया गया है। बैठक में यह सहमति बनी कि इस मुद्दे पर अब कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह बैठक सोमवार को हुई जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पूर्व नौकरशाह नृपेंद्र मिश्रा और स्मृति ईरानी समेत कई अन्य वरिष्ठ सदस्य शामिल रहे।
क्या वापस आएंगे Jawaharlal Nehru के Original Letters?
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2008 में Sonia Gandhi ने PM Jawaharlal Nehru से संबंधित कुछ ऐतिहासिक दस्तावेज़ों को वापस ले लिया था, जिन्हें पहले Indira Gandhi और बाद में उन्होंने खुद PMML को दान किया था। बैठक में यह बात दोहराई गई कि ये दस्तावेज़ ‘राष्ट्रीय धरोहर’ (National Treasure) हैं और इन्हें संग्रहालय में होना चाहिए, न कि किसी निजी संग्रह में।
PMML का पुनर्गठन और नए सदस्यों की भूमिका
PMML ने इस संबंध में गांधी परिवार को एक आधिकारिक पत्र भेजा था, लेकिन अभी तक कोई उत्तर नहीं मिला है। यह पहली बार है जब Museum Authority ने इस मामले में आधिकारिक कार्रवाई की दिशा में कदम बढ़ाया है। कानूनी विशेषज्ञों की राय के मुताबिक, donation के तौर पर दिए गए कागजात का अधिकार संगठन के पास बना रहता है और इन्हें बिना अनुमति वापस नहीं लिया जा सकता।
क्या है नेहरू पेपर्स विवाद?
सदस्यों ने कहा कि यह मामला साल 2008 से लंबित है, और अब समय आ गया है कि इससे जुड़े administrative loopholes को सही किया जाए और इसे legal framework में लाया जाए। बैठक में यह भी बताया गया कि 2024 में हुई एक अन्य बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़े कागज़ात को लेकर गंभीर चर्चा हुई थी और तब भी Legal Opinion लेने की बात हुई थी।
15 जनवरी 2024 को सोसायटी का पुनर्गठन किया गया था, जिसमें कई नए नाम शामिल हुए जैसे स्मृति ईरानी, नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन, फिल्ममेकर शेखर कपूर और वासुदेव कामथ। यह साफ संकेत है कि सरकार ने अब नेहरू कागज़ात विवाद को हल करने का मन बना लिया है।