नई दिल्ली. झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र हंगामें की भेंट चढ़ गया. विधानसभा में चर्चा नहीं हो पाने से दुखी स्पीकर दिनेश उरांव ने कहा कि सदन सार्थक वाद-विवाद से जनता की समस्याओं के निराकरण का मंच का होता है. लेकिन हमने ऐसा नहीं करके संसदीय भावना को ठेस पहुंचाया है. हालांकि स्पीकर ने किसी एक पक्ष को दोषी नहीं ठहराया.
स्पीकर ने कहा कि 258 प्रश्नों में से एक का भी मौखिक उत्तर नहीं मिल पाया है. उन्होंने कहा, “इन 258 प्रश्नों में कुल 219 प्रश्नों के लिखित उत्तर सभा सचिवालय को प्राप्त हुए, जिन्हें सदस्यों के बीच वितरित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि इस सत्र के लिए कुल 15 ध्यानाकर्षण सूचनाएं स्वीकार की गई, लेकिन इनमें किसी एक का जवाब भी सरकार की ओर से नहीं मिल पाया. स्पीकर ने इसे झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता के लिए चिंताजनक बताया.
उन्होंने कहा, “अगर हमें संसदीय लोकतंत्र को इस राज्य में आगे लेकर जाना है तो सार्थक प्रयास करने होंगे. उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले सत्रों में इस स्थिति से उबरने के लिए सभी सदस्य गंभीर चिंतन करेंगे.
स्पीकर ने बताया कि इस सत्र में छह विधेयक ध्वनिमत से पारित किए गए. उन्होंने सभी सदस्यों को आने वाले पर्व और त्योहार की शुभकामनाएं दी.