नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तमिलनाडु सरकार को कड़ा नोटिस देते हुए स्पष्ट कर दिया कि पूर्व नेताओं के महिमामंडन (Glorification of Leaders) के लिए public funds का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। अदालत ने तिरुनेलवेली जिले में पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि (M. Karunanidhi) की प्रतिमा लगाने की अनुमति मांगने वाली याचिका खारिज कर दी।
जस्टिस विक्रम नाथ (Justice Vikram Nath) और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा (Justice Prashant Kumar Mishra) की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, “आप जनता के पैसे का इस्तेमाल केवल नेताओं की glorification के लिए क्यों कर रहे हैं? ऐसा करना अनुमति योग्य नहीं है।” अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि public money का उपयोग केवल जनता के हित (public interest) में होना चाहिए, न कि राजनीतिक व्यक्तित्वों की प्रशंसा (political personalities) के लिए।
करुणानिधि की प्रतिमा लगाना चाहती थी राज्य सरकार
तमिलनाडु सरकार ने तिरुनेलवेली जिले के वल्लियूर डेली वेजिटेबल मार्केट के सार्वजनिक प्रवेश द्वार पर करुणानिधि की कांस्य प्रतिमा और नाम पट्टिका लगाने की अनुमति मांगी थी। इससे पहले Madras High Court ने स्पष्ट कर दिया था कि सरकार सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिमाएं लगाने का आदेश नहीं दे सकती। इस फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा
सुप्रीम कोर्ट ने Madras High Court के आदेश को बरकरार रखते हुए तमिलनाडु सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने सरकार से कहा कि वह अपनी याचिका वापस ले और यदि कोई राहत चाहिए तो इसके लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाए।
अदालत ने अपने आदेश में दोहराया कि लोकतांत्रिक (democratic) व्यवस्था में नेताओं का सम्मान जनता के दिलों में होना चाहिए, न कि government funds से बनाई गई प्रतिमाओं और पट्टिकाओं के जरिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि करदाताओं (taxpayers) के पैसे से नेताओं का महिमामंडन संविधान और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है।
