हाल ही में एक ख़बर लगातार चर्चा में बनी हुई है कि कोई आता है और चुपके से महिलाओं की चोटी काट के भाग जाता है. मज़े की बात तो ये है कि ऐसा करते हुए अभी तक किसी ने भी अपनी आँखों से नही देखा. लेकिन अफवाहों की माने तो महिलाओं को बेहोश कर उनकी चोटी पर हमला किया जा रहा है.
हैरानी की बात यह है कि चोटी काटने की ख़बर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान जैसे राज्यों से अच्छी ख़ासी तादाद में आ रही है. लेकिन इसके पीछे की असलियत क्या है, ये किसी को नही पता. चोटी काटने को लेकर कौन हो सकता है इसकी अटकले सब लगाते है. लेकिन ऐसा कोई भी नही है जो बता सके की उसने चोटी काटते हुए देखा हो.
सबकी अलग-अलग दास्तां
अटकलों की माने तो जितने मुंह उतनी बात वाली मसल दिखाई पड़ती है. लोगों का मानना है कि यह सब महज़ कुछ सेकेंड में ही घटित हो जाता है. चोटी कटने के बाद किसी का बयान आता है कि उसे परछाई में बिल्ली की आकृति नज़र आई. तो कोई बताता है कि उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा और जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो बाल कटकर ज़मीन पर पड़े हुए थे.
वहीं इसके अलावा कुछ महिलाएं बताती है कि वह बेहोश कर दी गईं थी. होश आने पर उनकी चोटी कटी हुई थी. वहीं एक महिला ने तो इन सब से और आगे आकार इस घटना को भूत प्रेत से जोड़ दिया. उसका मानना है कि इन सब घटनाओं के पीछे किसी अलौकिक शक्तियों का हाथ है.
बीबीसी से बातचीत में तर्कवादी सनाल एडामरूकू बताते हैं कि ये “मास हिस्टिरिया” या “जन भ्रम” का बेहतरीन उदाहरण हैं. उन्होंने कहा कि “इसके पीछे कोई चमत्कार या अलौकिक शक्ति नहीं है. इन घटनाओं की रिपोर्ट करने वाली महिलाएं निश्चित तौर पर किसी आंतरिक मनोवैज्ञानिक द्वंद्व से जूझ रही होंगी. जब वो इस तरह की घटनाओं के बारे में सुनती हैं तो खुद पर ऐसा होते हुए सा अहसास करती हैं, ऐसा कभी कभी अवचेतनावस्था में भी होता है.”
यह पहली बार नही है
इस तरह की बिना सर पैर की यह अफवाह पहली बार नही है. इससे पहले भी तमाम ऐसी अफवाहें लोगों में दहशत पैदा कर चुकी हैं. ऐसी घटनाओं की अफवाह बनाई जाती है जो सुनने में किसी फ़िल्मी कहानी जैसी नज़र आती हैं. फिल्मों में भी कुछ इसी तरह के पात्र दिखाए जाते रहे हैं. कहीं हॉलीवुड में हेलबॉय दिखाया गया जिसमे वो आधा बंदर और आधा इंसान जैसा नज़र आता था. तो कभी एक थी डायन में चोटी की तस्वीर. इसी तरह से ख़ासकर हॉलीवुड सिनेमा में एलियन, जादुई शक्तियों जैसी तमाम हक़ीकत से परे फिल्मे बनाई जाती रही हैं.
दूध पीती भगवान की मूर्ती
यह मामला है 1995 का. जब एक ऐसी अफवाह आई कि भगवान की मूर्ती चम्मच से दूध पी रही है. ऐसा सुनते ही लाखों लोग भगवान को चम्मच से दूध पिलाने लगे. यह मामला भी काफ़ी तेज़ी से लोगो के बीच फैला. लोगों की भीड़ उमड़ गई यह देखने को कि भगवान किस तरह दूध पी रहे हैं.
मंकी मैंन का आतंक
यह अफवाह 2001 में फैली थी. जिसमे लोगों का दावा था कि मंकी मैन लोगो पर हमला कर रहा है. इसमें भी तरह तरह की बाते बनाई गई. कोई कहता था कि हमला करने वाला आधा इंसान था और आधा बन्दर. तो कोई कहता था कि एक बंदर नुमा इंसान नकाब लगाकर लोगों पर हमला करता है.
समुंद्र का पानी मीठा हो गया
मुंबई में समुद्र का पानी मीठा हो जाने की अफवाह भी 2006 में देखी गई. कई ऐसे लोग भी समुद्र का पानी देखने पहुचे जो मुंबई से बाहर के थे. मुंबई के समुद्री तट पर भारी संख्या में भीड़ इकठ्ठा हो गई. यह देखने कि क्या वाकई में समुद्र का पानी मीठा हो गया है. हालाँकि यह महज़ कोरी अफ़वाह साबित हुई.
रात में मुंह नुचवा का हमला
एक समय मुंह नुचवा ने भी लोगो को दहशत में डाल दिया था. ऐसी अफवाह थी कि कोई रात में आकर मुंह पर हमला करता है. ऐसा वो महज़ रात में ही करता है. इसको लेकर भी तरह तरह की बाते बनाई गईं.
किसी का मानना था कि यह कोई कीड़ा है, तो कोई कहता कि यह एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जिससे चेहरा झुलस जाता है. वही कोई इसे दूसरी दुनिया का परग्रही बताने में भी संकोच नही कर रहा था. इन सब के बावजूद कोई भी ऐसा शख्स नही दिखा जिसने मुंह नुचवा को देखा हो. हालाँकि इसके चलते लोगो को परेशानी ज़रूर उठानी पड़ी.
अफवाहों पर जल्द ही लगानी होगी लगाम
इस तरह की अफवाहों को रोकने के लिए जल्द ही कोई ठोस क़दम उठाने की ज़रुरत है. क्योकि ऐसी अफ़वाहे काफ़ी तेज़ी से फैलती है और इसमें लोग किसी भी तरह की हरकत करने में कोई गुरेज़ नही करते हैं. चोटी काटने की इसी अफवाह के चलते आगरा के डौकी के मुरनई गाँव में लोगों ने एक वृद्ध विधवा मानदेवी को चोटी काटने वाली डायन बताकर बुरी तरह से पिटाई कर दी. जिससे बाद उस महिला ने दम तोड़ दिया. मेडिकल रिपोर्ट में भी यह पुष्टि हुई कि महिला की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई है.
इसी प्रकार राजस्थान में भी चोटी काटने के आरोप में एक व्यक्ति को बुरी तरह से पीटा गया. जिससे उसकी हालत गंभीर बनी हुई है. ऐसी अफ़वाह से लोग किसी भी हद तक जाने से नही चूकते हैं. चाहे किसी की पिटाई हो, घरो पर केसरिया पंजो के निशान लगाना हो या साथ में लोहे को रखकर चलना हो. जिस प्रकार वह ऐसी अफवाहों पर फ़ौरन यकीन कर लेते हैं. ठीक उसी प्रकार उन्हें इससे बचने के लिए जो भी उपाय सुझाया जाता है वो उसपर आँख मूंदकर अमल कर लेते हैं.
ऐसे में सहज ही यह सवाल उठता है कि इस तरह की अफवाहें जिन जगहों पर फैलती हैं, उस जगह का प्रशासन इन पर रोक लगाने की अपनी तरफ से कोई कोशिश क्यूं नहीं करता, ज्यादातर मामलों में पुलिस एवं प्रशासन ऐसी किसी जानकारी से अपनी अनभिज्ञता ही जताता है।