जोगिंद्रनगर. जोगिंद्रनगर कि लड घाटी में स्थापित कूड महादेव भगवान शिव के प्रसिद्व मंदिरों में एक है. कूड का अर्थ है गुफा. मान्यता है कि पिता के घर अपमानित होने के बाद सती ने देहत्याग कर दिया था. इसके बाद व्याकुल महादेव कैलाश से लुप्त हो गए. तीनों लोकों में भटकते हुए वह यहां पहुंचे और लड घाटी की इसी गुफा में रहने लगे. कूड महादेव मंदिर में आज भी शिवलिंग विद्यमान है और यह लोगों की आस्था का केंद्र है.
राजस्व विभाग की फाइलों में भी भगवान शिव का मालिकाना
राजस्व विभाग की फाइलों में भी कूड की इन गुफाओं के मालिक भगवान शिव ही है. फाइलों में बाकायदा यह जगह उन्हीं के नाम से दर्ज है. कूड महादेव मंदिर की गुफाओं में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास माना जाता है. मान्यता है कि यहां पूजा करने वालों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. गुफा के भीतर स्थापित शिवलिंग पर प्राकृतिक रूप से पहाड़ी चोटी से जल टपकता रहता है. यहां कामधेनु, नंदी और शेषनाग की प्रतिमाएं भी हैं.

सावन के महीने में लगते हैं शिव भक्तों के लिए भंडारे
27 वर्ष से इस मंदिर की देखभाल करने वाले माधो सिंह ने बताया कि शिवरात्रि और सावन के महीने के हर सोमवार को मंदिर परिसर में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है. उसके अलावा जब भी किसी भक्त कि मुराद पूरी होती है तो उनके द्वारा भी समय-समय पर मंदिर में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है. भक्तों का मानना है कि इस गुफा से भगवान शिव के अन्य स्थानों जैसे प्रयागराज, पशुपतिनाथ, अमरनाथ तक जाने का गुप्त मार्ग है. यहां से पाताल लोक के लिए भी रास्ता है.

प्रेम गिरी जी महाराज हैं यहां के संरक्षक
ये नागा बाबा का अखाड़ा है और जूना अखाड़ा के अंतर्गत आता है. विश्व हिंदू प्रचारक प्रेम गिरी जी महाराज यहां के मुख्य संरक्षक हैं. यहां पर सभी भक्तजनों को साल के बारह महीने रहने और खाने-पीने की निशुल्क व्यवस्था है. जिसका सारा खर्चा जूना अखाड़ा द्वारा वहन किया जाता है.