शिमला. गर्मियों में, मौसम की तपिश से निजात पाने के लिए अंग्रेजों द्वारा बसाया गया था हिमाचल का शिमला, जो उनकी ग्रीष्मकालीन राजधानी भी बना. ब्रिटिशकाल में न सिर्फ सरकार के उच्च अधिकारी, बल्कि इंग्लैंड से आए विशिष्ट अतिथि भी शिमला में रहते या ठहरते थे. इसी के चलते, शिमला की ब्रिटिशकालीन इमारतों और सड़कों से आधुनिक भारतीय इतिहास के कई किस्से जुड़े हुए हैं.
इन्हीं में से एक कहानी है 19वीं शताब्दी में बने रोथनी कैसल की, जिसे सबसे ज्यादा याद किया जाता है उसके भूतपूर्व मालिक ए.ओ. ह्यूम के चलते. जाखू स्थित रोथनी हाउस का निर्माण वर्ष 1838 में हुआ. पहले सचिव डॉ. कार्टे ने वर्ष 1843 में यहां शिमला बैंक कॉरपोरेशन का कार्य शुरू किया.
वर्ष 1851 में यहां से बैंक हटा दिया गया और बैंक के ही एक कर्मचारी आर्नल ने 1854 में इसे खरीद लिया. इसके बाद यहां आशियाना सजाया ए ओ ह्यूम ने, जिन्होंने आगे चलकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की. ह्यूम ने ही वर्ष 1867 में इसका नाम रोथनी कासल कर दिया. यहीं रहते हुए भारत सरकार के तत्कालीन सचिव ह्यूम के दिमाग में पार्टी गठित करने का विचार उपजा. कांग्रेस पार्टी की स्थापना के संबंध में कई महत्वपूर्ण बैठकों का भी यहां आयोजन हुआ.
मौजूदा वक्त के पीटर हॉफ होटल में हुआ करता था
भारत सरकार के सचिव रहते हुए ए ओ हयूम यहीं से वायसराय के साथ अलग अलग मसलों पर बैठक करने के लिए रवाना होते. उस दौरान वायसरीगल लॉज भी मौजूदा वक्त के पीटर हॉफ होटल में हुआ करता था. वर्ष 1861 से 1884 तक वायसराय यहीं ठहरते थे और जाखू स्थित रोथनी कैसल से यहां का सफर नजदीकी के चलते और भी आसान होता था. बाद में, वर्ष 1888 से भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में वायसरीगल लॉज स्थानातंरित कर दिया गया. मगर वायसराय के कई विशिष्ट अतिथि ए ओ हयूम के साथ रोथनी हाउस में ही दिन बिताते थे. वर्ष 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना एओ हयूम ने इसी निजी आवास में रहते हुए की, और यहीं पर पार्टी की पहली बैठक भी हुई थी.
‘शीशे वाली कोठी’ नाम से जाना जाता है अब रोथनी कैसल-
शिमला के जाखू स्थित मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आशियाना हॉली लॉज से बस कुछ ही दूरी पर है रोथनी कैसल. मौजूदा समय में लोग इसे शीशे वाली कोठी के नाम से भी जानते है. इस एक मंजिला इमारत के निर्माण में शीशो का प्रयोग अधिक किया गया है. साथ ही लकड़ी के इस्तेमाल ने भी इसे आकर्षक स्वरूप दिया है. एओ हयूम के बाद यह लाला छूनामल के वंशजों का निजी आवास रहा है.