जयपुर: राजस्थान में इस साल छात्रसंघ चुनाव नहीं होंगे. उच्च शिक्षा विभाग के इस फैसले पर प्रदेशभर के छात्र नेताओं में आक्रोश है. राजस्थान यूनिवर्सिटी हो या फिर जोधपुर, उदयपुर, कोटा यूनिवर्सिटी, कई छात्र नेता पिछले डेढ़ दो महीने से चुनावी तैयारियों में जुटे थे.
राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाने के विरोध में स्टूडेंट्स उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं. आज राजस्थान यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स ने मेन गेट पर धरना दिया. इस दौरान NSUI, ABVP, RLP और निर्दलीय सभी छात्र मौजूद रहे. विवेकानंद पार्क में NSUI सहित सभी छात्रनेता अनिश्चित काल के लिए हड़ताल पर बैठ गए. इनमें 8 छात्र नेता भूख हड़ताल पर बैठे हैं.
छात्रों का कहना है की छात्रसंघ के चुनाव राजनीति की पहली सीढ़ी होती है. सरकार को फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए. भूख हड़ताल पर बैठे छात्र नेताओं ने सरकार के आदेश को काला अध्यादेश बताया है.
राजस्थान यूनिवर्सिटी में भारी पुलिस तैनात
छात्रों के धरने को देखते हुए पुलिस प्रशासन भी अलर्ट है. प्रशासन की ओर से अतिरिक्त पुलिस जाब्ता मेन गेट पर तैनात कर दिया गया है. पुलिस जाब्ता तैनात करने के पीछे कारण है कि छात्र नेता उग्र होकर सड़क पर नहीं आ जाए.
सीकर में निकाली गई आक्रोश यात्रा
सीकर में एबीवीपी, एसएफआई और निर्दलीय नेताओं ने अलग-अलग जगह आक्रोश रैली निकाली. कार्यकर्ताओं का कहना है की मुख्यमंत्री खुद छात्र राजनीति से शुरुआत करके प्रदेश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे हैं. फिर छात्रसंघ चुनाव पर रोक क्यों लगाई है? मुख्यमंत्री को कहीं न कहीं लग रहा है कि राजस्थान में सभी कॉलेज और विश्वविद्यालय में आज भी कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई की स्थिति ठीक नहीं है. ऐसे में चुनावी साल में छात्र संघ चुनाव पर रोक लगाई जा रही है.
कोटा में खून से लिखा लेटर
कोटा में भी सरकार के फैसले के खिलाफ छात्र नेता सड़क पर उतरे. छात्र संघ अध्यक्ष मनीष सामरिया और छात्र नेता कवर सिंह चौधरी ने खून से पत्र लिखकर छात्रसंघ चुनाव करवाने की मांग उठाई. प्रदर्शन के दौरान पुलिस और छात्र नेताओं के बीच धक्का-मुक्की हुई.
स्टूडेंट लीडर्स ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने अपने फैसले पर विचार नहीं किया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर सरकार छात्रसंघ चुनाव क्यों नहीं करवाना चाहती?