नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आज उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया, जिनमें वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की छह महीने की समयसीमा बढ़ाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के तहत दी गई समयसीमा में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
याचिकाकर्ताओं को दी गई सलाह
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि चूंकि वक्फ ट्राइब्यूनल में इस मामले के लिए राहत का विकल्प पहले से उपलब्ध है, इसलिए आवेदक 6 दिसंबर से पहले ट्राइब्यूनल में आवेदन दाखिल कर सकते हैं।
क्या है याचिकाकर्ताओं की दलील?
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि UMEED पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन या डिजिटाइजेशन के दौरान कई तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं। ऐसे में जब तक ट्राइब्यूनल इन समस्याओं पर सुनवाई करेगा, तब तक 6 दिसंबर की अंतिम तारीख निकल जाएगी।
SC ने कहा— ट्राइब्यूनल से मांगें राहत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी आवेदक को वास्तव में पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन में दिक्कत आ रही है, तो वह वक्फ ट्राइब्यूनल से समय सीमा बढ़ाने का आवेदन कर सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि कानून में पहले से समाधान मौजूद है।
अब आगे क्या?
अब सभी आवेदकों को 6 दिसंबर से पहले वक्फ ट्राइब्यूनल में आवेदन करना होगा, ताकि समयसीमा बढ़ाने या तकनीकी समस्याओं पर राहत मिल सके।
