नई दिल्ली. दिल्ली-NCR में बढ़ते air pollution को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। अदालत का कहना है कि सर्दियों में निर्माण कार्यों (construction work) पर पूरी तरह से रोक लगाने का फैसला उन daily wage workers की आजीविका पर गंभीर असर डाल सकता है, जो निर्माण स्थलों पर काम करके अपना जीवन यापन करते हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने Commission for Air Quality Management (CAQM) को निर्देश दिया है कि वह राज्यों के साथ मिलकर तीन महीने के अंदर प्रदूषण नियंत्रण का कोई ऐसा समाधान तैयार करें, जिससे पर्यावरण की सुरक्षा भी हो और श्रमिकों की रोजी-रोटी भी प्रभावित न हो।
मुआवजा न मिलने की शिकायतें
सुप्रीम कोर्ट की bench, जिसमें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन शामिल हैं, ने स्पष्ट कहा कि कई मजदूरों को पहले भी मुआवजा नहीं मिल पाया है। अदालत ने CAQM को निर्देश दिया कि सभी संबंधित हितधारकों, जैसे राज्य सरकार, श्रमिक संगठन और पर्यावरण विशेषज्ञों के साथ बातचीत कर वैकल्पिक समाधान खोजे। अदालत ने कहा कि पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने से मजदूरों को आर्थिक नुकसान होगा और उनका जीवन संकट में पड़ सकता है।
निर्माण रोकने से और भी समस्याएं
अदालत ने यह भी कहा कि निर्माण कार्य रोकने के अन्य नकारात्मक परिणाम हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से दिल्ली-NCR में काम के लिए आने वाले श्रमिक सर्दियों में काम बंद होने पर बेरोजगार हो जाते हैं। मुआवजा मिलने में देरी या उसका न मिलना श्रमिकों की स्थिति को और खराब कर देता है। कोर्ट ने उन याचिकाओं का जिक्र किया जिनमें कहा गया कि प्रभावित श्रमिकों को उचित आर्थिक सहायता नहीं दी गई।
समाधान की दिशा में कदम
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CAQM को सिर्फ रोक लगाने का विकल्प नहीं देखना चाहिए, बल्कि प्रदूषण कम करने के लिए sustainable pollution control measures तैयार करने चाहिए। अदालत ने CAQM को निर्देश दिया कि वह तीन सप्ताह के भीतर सभी राज्यों से सुझाव लेकर एक ठोस योजना बनाए, ताकि निर्माण कार्य चलते रहें और साथ ही हवा की गुणवत्ता (air quality) भी सुधारी जा सके।
GRAP के तहत पहले भी लगाए गए थे प्रतिबंध
पिछले कुछ वर्षों में Graded Response Action Plan (GRAP) के तहत दिल्ली-NCR में सर्दियों के दौरान निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर रोक लगाई गई थी। फरवरी में जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने NCR राज्यों को निर्देश दिया था कि गतिविधियों के बंद होने से प्रभावित निर्माण श्रमिकों को मुआवजा दिया जाए। लेकिन कई श्रमिकों ने अब भी शिकायत की है कि उन्हें वह आर्थिक मदद नहीं मिली जिसकी उन्हें आवश्यकता थी।
