मंडी(धर्मपुर). हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड के द्वारा 17 सितंबर को उर्दू भाषा की टीईटी परीक्षा ली गई. अब परीक्षा देने वालों ने आरोप लगाया है कि उर्दू का प्रश्नपत्र उर्दू लिपि की जगह फारसी लिपि में लिखी हुई थी. प्रदेश के सभी जिलों के लिए चार जोन में यह परीक्षा करवायी गयी थी.
उर्दू टीईटी के लिए सोलन, धर्मशाला, मंडी और ऊना को परीक्षा केंद्र बनाया गया था. हिमाचल प्रदेश के सभी परीक्षा केंद्रों के परीक्षार्थियों की शिकायत है कि उर्दू भाषा टीईटी का प्रश्न-पत्र फारसी भाषा की 50 साल पुरानी लिपि में बनाया गया था. उर्दू भाषा का यह प्रश्न-पत्र पढ़ने में भी नहीं आ रहा था. उर्दू लैंग्वेज टीचर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष मंजूर अहमद और सचिव प्रकाश चंद ने जारी बयान में कहा कि उर्दू टीईटी प्रश्न-पत्र निर्धारित समय पर पूरा नहीं हो पाया और परीक्षार्थी आधा-अधूरा पेपर छोड़कर परीक्षा हॉल से चले आए.
उन्होंने कहा की हिंदुस्तान के किसी भी संस्थान और विश्वविद्यालय में उर्दू के अध्ययन में इस लिपि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. यहां तक कि जम्मू विश्वविद्यालय में भी पाठ्यक्रम में उर्दू भाषा के लिए ‘खत-ए-नस्तलीक’ का इस्तेमाल होता है. एसोसिएशन ने मांग की है कि परीक्षार्थियों को ग्रेस मार्क दिए जाएं और भविष्य में कभी भी उर्दू की परीक्षा में इस लिपि का इस्तेमाल न किया जाये.