हमीरपुर. सरकार द्वारा करीब चालीस साल पहले पट्टे पर दी गई ज़मीन को पाने के लिये दर्जनों परिवार आज तक संघर्ष कर रहे हैं. लेकिन विभागीय चक्कर काटते रहने पर भी आश्वासनों के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला है. जिस कारण हमीरपुर के कोट गांव के दर्जनों लोगों में गहरा रोष पनप रहा है. गुस्साये ग्रामीणों ने दो टूक शब्दों में विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है. लोगों का कहना है कि विधायकों को पट्टे पर जमीन दी जा रही है तो उन्हें जमीन क्यों नहीं मिल रही है?
बता दें कि वर्ष 1975 से भूमि के मालिकाना हक के लिए लड़ रहे 30 परिवारों को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पट्टे पर जमीन दी थी. दो बार उच्चतम न्यायालय से केस जीतने के बाद भी जिला प्रशासन की लेटलतीफी के कारण आज तक ग्रामीणों को जमीन नहीं मिल पायी है.
ग्रामीणों का कहना है कि सालों से लोग पट्टे की ज़मीन पाने के लिये विभागों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकाला गया है. लोगों ने अपनी नराजगी जताते हुए कहा कि एक ओर तो सरकार अपने विधायकों को पट्टे पर जमीन दे रही है वहीं दूसरी तरफ इतने सालों से जमीन के लिए लंबी लड़ाई लड़ने पर भी समस्या का हल नहीं हुआ है.
कोट गांव के चमन ने बताया कि आज 42 साल हो गये हैं और पट्टे पर दी गयी जमीन नहीं मिल पायी है. चुनवों के आते ही नेता लोग आश्वासन देते हैं लेकिन बाद मे भूल जाते हैं. उन्होंने कहा कि इन चुनावों में सभी ग्रामीण चुनावों का बहिष्कार करेंगे.
बता दें कि प्रदेश सरकार के विधायकों और पूर्व विधायकों को पट्टे पर जमीन देने का फैसला आने के बाद भूमिहीन कोट गांव के निवासी भड़क गये हैं और दशकों से पट्टे की जमीन पाने के लिए संघर्ष करने के बावजूद भी जमीन नहीं मिलने पर अपनी मांग को और तेज कर रहे हैं.