रांची. मुख्यमंत्री की फटकार के दूसरे ही दिन शनिवार को तीन महीने से सुस्त पड़ी जलाशय सीमांकन कमेटी रेस हो गई है. रांची के डैम और नदियों से अतिक्रमण हटाने की कवायद तेज हो गई है. जांच के लिए डीसी राय महिमापत रे अफसरों के साथ गेतलसूद डैम पहुंचे और डैम के अतिक्रमित क्षेत्रों समेत कैचमेंट एरिया का जायजा लिया.
मौके पर ही उन्होंने आदेश दिया कि गेतलसूद डैम और कांके डैम से कब्जा हटाने की कार्रवाई करें. ओरमांझी और अनगड़ा सीओ गेतलसूद डैम के किनारे हो रहे निर्माण कार्यों पर जांच कर विस्तृत रिपोर्ट 15 दिनों के अंदर सौंपें. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को राज्य के सभी डीसी-डीडीसी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विभिन्न मामलों पर निर्देश दिया था.
वहीं रांची के जलाशयों के अतिक्रमण मामले पर डीसी को लताड़ा था. उन्होंने गेतलसूद, कांके डैम, हरमू नदी, स्वर्णरेखा नदी और बड़ा तालाब का सीमांकन कराकर अतिक्रमणमुक्त करने का आदेश दिया था. यह भी कहा था कि कब्जा करने वालों को पहले नोटिस दें. खुद हट जाते हैं तो ठीक है, नहीं तो उन्हें बलपूर्वक हटाएं. अतिक्रमण करने वाला अगर बड़ा आदमी हो तो भी कड़ी कार्रवाई करें.
हरमू नदी : 85 करोड़ खर्च 11 किमी क्षेत्र में दोबारा अतिक्रमण
राजधानी रांची के बीच से गुजरने वाली नदियों की धारा अतिक्रमण ने लील ली. हरमू नदी को एक दशक से अतिक्रमणमुक्त कराया जा रहा है, फिर भी आज तक पूरी तरह अतिक्रमण नहीं हट सका है. इसके संरक्षण-संवर्द्धन पर खर्च हुए 85 करोड़ रुपए पानी में बह गए. स्थिति यह है कि हरमू नदी के दोनों ओेर धड़ल्ले से कब्जा किया जा रहा है. करीब 17 किमी लंबी हरमू नदी का 11 किमी क्षेत्र में दोबारा निर्माण हो चुका है. विद्यानगर से लेकर चुटिया तक नदी के किनारे कई स्थानों पर अवैध निर्माण हो गया.
स्वर्णरेखा नदी : नामकुम, हटिया, चुटिया में माफिया ने बेच दिया हिस्सा
स्वर्णरेखा नदी के पानी में कभी इतना अधिक करंट होता था कि पानी में पैर रखने पर भी बह जाने का खतरा रहता था. लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है. हटिया, चुटिया, नामकुम क्षेत्र में नदी के किनारे जमीन दलालों ने जमीन बेच दी. अब वहां सैकड़ों की संख्या में मकान खड़े हो गए हैं. हटिया क्षेत्र में सबसे अधिक खराब स्थिति है. यहां जगह-जगह नदी के किनारे अतिक्रमण कर लिया गया है. चावल सहित कई फैैक्ट्री का कचरा भी नदी में बहाया जा रहा है.
बड़ा तालाब : सौंदर्यीकरण की जिद ने कैचमेंट एरिया को कर दिया खत्म
बड़ा तालाब को नगर निगम के अफसरों ने ही बर्बाद कर दिया. सौंदर्यीकरण के नाम पर तालाब का कैचमेंट एरिया समाप्त कर दिया. इसमें कंक्रीट का पिलर और बीच में पुल खड़ा करके तालाब को छोटा कर दिया. तालाब में अपर बाजार सहित अन्य क्षेत्रों से आने वाले गंदा पानी को रोकने में भी अफसर विफल रहे. आज हालात ऐसा है कि बड़ा तालाब में पानी के बदले जलकुंभी की चादर दिखाई दे रही है. इसकी सफाई की दिशा में निगम की ओर से पहल नहीं की जा रही है.
कांके डैम : संरक्षण करना भूले अफसर, बन रहे अवैध घर
कांके डैम का कैचमेंट एरिया पर भी अतिक्रमण है. पूर्व सरकार के समय एक बार कांके डैम की मापी कराई गई थी. उस समय करीब 21 अतिक्रमणकारियों को हटाया गया था. बाद में अफसर नदी का संरक्षण करना भूल गए. डैम के किनारे फिर घर बनने लगे. माफिया ने औने-पौने दाम में कई एकड़ जमीन बेच दी.