ऊना (चिंतपूर्णी). प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के भविष्य का फैसला 18 दिसंबर को हो जाएगा. वहीं जीत-हार के बीच बहुत ज्यादा फासला ना होने का अनुमान सभी के लिए भ्रम की स्थित पैदा कर रहा है. सट्टा बाजार में जिन प्रत्याशियों के जीतने की सबसे ज्यादा उम्मीद होती है, उनकी कीमत सबसे कम लगती है.
जिनके हारने की उनकी कीमत जयादा लगती है.भाजपा पार्टी के समर्थक मोदी लहर के चलते जिले की सभी पांचों सीटें जितने का दावा कर रहे है.वहीं कांग्रेस पार्टी के समर्थक भी प्रदेश में वीरभद्र सिंह की लोकप्रियता व भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई, नोटबंदी से हुई आम जनता को परेशानी को ढाल बनाकर ऊना में क्लीन स्वीप करने के दाबे करते नहीं थक रहे है. लेकिन, इन सबसे अलग एक पक्ष है जो चुनावी माहौल को लेकर काफी उलझा हुआ है.
जीत-हार के बीच बहुत ज्यादा फासला ना होने का अनुमान सभी के लिए भ्रम की स्थित पैदा कर रहा है. सट्टा बाजार में जिन प्रत्याशियों के जीतने की सबसे ज्यादा उम्मीद होती है, उनकी कीमत सबसे कम लगती है. और जिनके हारने की उनकी कीमत जयादा लगती है.
चार सीटों पर कांटे की टक्कर देखी जा रही है
जानकारों का मानना है कि ऊना जिला की एक सीट को छोड़कर चार सीटों पर कांटे की टक्कर देखी जा रही है. इन चार सीटों पर कौन किसको पटकनी देगा यह अभी नहीं कहा जा सकता. सट्टेबाजों को अब यह समझ नहीं आ रहा है कि वह किस पर दांव लगाएं और किस पर ना लगाएं. चुनावी सट्टे का शौक रखने वाले एक जानकार ने बताया कि सट्टा बाजार में बुकिंग शुरू नहीं हुई है. बाजार अभी तक यह तय नहीं कर पा रहा है कि ऊना जिला में कौन जीत सकता है. किसके हारने की उम्मीद ज्यादा है, लेकिन बावजूद इसके सट्टेबाजों को उम्मीद है कि पुख्ता रुझान उन्हें मिलेंगे और दांव लगना शुरू हो जाएगा. चुनाव प्रचार में सभी प्रत्याशियों ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया.