नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में कई ऐसी प्रमुख धरोहर है, जिनका शुमार दुनिया के नामचीन स्थलों में किया जाता है. इसी कड़ी में एक और अध्याय जुड़ने वाला है. राजधानी दिल्ली में आने वाले वर्षों में दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय बनेगा. इस संग्रहालय में भारत की ऐतिहासिक विरासत और संस्कृति को संजोया जाएगा, जो विश्वस्तर पर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा.
दरअसल बीते 26 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी सह सम्मेलन केंद्र भारत को सौंप दिया. इस दौरान पीएम मोदी ने युगे युगीन भारतीय राष्ट्रीय संग्रहालय बनाने की घोषणा की. आने वाले वर्षों में देश की राजधानी दिल्ली में दुनिया का सबसे बड़ा युगे युगीन नाम से भारतीय राष्ट्रीय संग्रहालय बनाया जाएगा.
ये संग्रहालय भारतीय इतिहास के 5 हजार साल पुराने विरासत को बयां करेगा. केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अनुसार राजधानी में विश्व के सबसे बड़े इस संग्रहालय को नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में बनाया जाएगा. यह संग्रहालय 1.17 लाख वर्ग मीटर में फैला तीन मंजिला होगा, जिसमें 900 से अधिक कमरे होंगे और एक बेसमेंट भी होगा. इसके अलावा इस संग्रहालय में अलग-अलग खंड होंगे जो भारत के गौरवशाली इतिहास को दर्शाएंगे.
भारत का इतिहास दर्शाएगा ये संग्रहालय
भविष्य की ओर देखने वाले इस संग्रहालय में प्राचीन भारतीय ज्ञान, प्राचीन से मध्ययुगीन, मध्ययुगीन से बदलाव का दौरा, आधुनिक भारत, उपनिवेशी शासन (ब्रिटिश, डच, पुर्तगाली और अन्य के शासन का ब्योरा), स्वतंत्रता संग्राम और 1947 से अगले सौ साल जैसे खंड शामिल होंगे.
इस म्यूजियम के निर्माण के लिए स्थल निर्धारण कर लिया गया है. इस संग्रहालय का निर्माण लुटियन दिल्ली स्थित साउथ और नॉर्थ ब्लॉक में किया जाएग. जहां साउथ ब्लॉक में प्रधानमंत्री कार्यालय विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय हैं, वहीं नॉर्थ ब्लॉक में वित्त और गृह मंत्रालय हैं.