नई दिल्ली. मंगलवार सुबह दिल्ली घने स्मॉग और जहरीली हवा की चपेट में आ गई। दिवाली के अगले ही दिन शहर की हवा और भी खराब हो गई। Air Quality Index (AQI) के मुताबिक दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब (Very Poor)’ श्रेणी में दर्ज की गई, जबकि अधिकांश मॉनिटरिंग स्टेशनों ने प्रदूषण स्तर को रेड ज़ोन में रिकॉर्ड किया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, मंगलवार सुबह 8 बजे दिल्ली का औसत AQI 350 दर्ज किया गया।
राजधानी के 10 सबसे प्रदूषित क्षेत्र
क्षेत्र | AQI | श्रेणी |
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बावाना | 427 | गंभीर (Severe) |
वज़ीरपुर | 408 | गंभीर (Severe) |
अलीपुर | 408 | गंभीर (Severe) |
जहांगीरपुरी | 407 | गंभीर (Severe) |
बुराड़ी क्रॉसिंग | 402 | गंभीर (Severe) |
शादिपुर | 399 | बहुत खराब (Very Poor) |
अशोक विहार | 391 | बहुत खराब (Very Poor) |
पंजाबी बाग | 376 | बहुत खराब (Very Poor) |
सोनिया विहार | 374 | बहुत खराब (Very Poor) |
विवेक विहार | 374 | बहुत खराब (Very Poor) |
इसके अलावा जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (AQI 318), ITO (347), लोदी रोड (327), आया नगर, आनंद विहार (360), ओखला फेज-2 (353), दिल्ली यूनिवर्सिटी नॉर्थ कैंपस (363) और दिलशाद गार्डन (357) में भी वायु गुणवत्ता बेहद खराब रही।
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास भी AQI 313 रहा, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।
दिवाली के बाद और बिगड़ी दिल्ली की हवा
दिवाली से पहले ही दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार गिरावट पर थी। Graded Action Response Plan (GRAP-2) के दूसरे चरण के लागू होने के बावजूद दिवाली के दिन AQI ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया था। कई स्टेशनों पर स्तर 300 से ऊपर और आनंद विहार व वज़ीरपुर में 400 से अधिक दर्ज हुआ।
दिवाली की रात आतिशबाजी के बाद मंगलवार को स्थिति और बदतर हो गई। हर साल सर्दियों में दिल्ली में जहरीली हवा का स्तर तेजी से बढ़ता है और इस बार भी हालात कुछ अलग नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए ‘ग्रीन पटाखों’ की मंजूरी
15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में 18 से 20 अक्टूबर तक ग्रीन पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल की अनुमति दी थी।
हालांकि, कोर्ट ने साफ किया था कि केवल एनसीआर में बने पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल की अनुमति होगी और उनका प्रयोग सिर्फ निर्धारित समय — शाम 6 से 7 बजे और 8 से 10 बजे तक ही किया जा सकेगा।
शीर्ष अदालत ने इसे “संतुलित निर्णय” बताते हुए कहा था कि इससे त्योहारों की खुशियां मनाने के साथ पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।