नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र में आज लोकसभा का माहौल बेहद खास रहने वाला है। आज सदन में देश के राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर एक 10 घंटे लंबी विशेष चर्चा होगी। इस ऐतिहासिक चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर 12 बजे करेंगे। यह बहस देशभर में एक साल तक चलने वाले समारोहों का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत 7 नवंबर को की गई थी।
BJP बोली – “ऐतिहासिक पल”, कांग्रेस पर बरसे नेताओं के बयान
भाजपा प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने कहा कि आज संसद में वह पल आएगा जो स्वतंत्रता संग्राम के समय ‘वंदे मातरम्’ की तरह एकता का प्रतीक बनेगा। उन्होंने राहुल गांधी और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस को इस गीत के साथ किए गए व्यवहार के लिए माफी मांगनी चाहिए।
कांग्रेस का जवाब – “देखिए आगे क्या होता है”
कांग्रेस की सांसद प्रणिति शिंदे ने संक्षिप्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लोकसभा में आज वंदे मातरम् के 150 साल और SIR मुद्दे पर चर्चा होगी… आगे देखिए क्या होता है। उनके बयान ने चर्चा से पहले सियासी उत्सुकता और बढ़ा दी है।
वंदे मातरम् पर भाजपा का इतिहास लिंक
भाजपा नेता संबित पात्रा ने कहा कि आज देश उन नायकों को याद कर रहा है जिन्हें नेहरू–गांधी राजनीति में भुला दिया गया था। उन्होंने बताया कि यह गीत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवंबर 1875 को लिखा था, और बाद में रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे स्वरों में ढाला।
उन्होंने दावा किया कि नेहरू को लगता था यह गीत मुस्लिमों को “परेशान” कर सकता है, जिसे उन्होंने “झूठी सेक्युलर सोच” बताया।
सांसदों ने कहा – “आज की लड़ाई सांस्कृतिक आजादी की”
भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई राजनीतिक आजादी के लिए थी, वहीं आज की बहस समाज और संस्कृति की आजादी और एकता के लिए है। उन्होंने सभी दलों से अपील की कि वे राजनीति से ऊपर उठकर इस मौके को राष्ट्रीय गौरव का दिन बनाएं।
बहस का समय और मुख्य वक्ता
कुल चर्चा समय: 10 घंटे
भाजपा को मिला वक्त: 3 घंटे
चर्चा का समापन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे।
मंगलवार को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह बहस की शुरुआत करेंगे।
कांग्रेस की ओर से गौरव गोगोई और प्रियंका गांधी वाड्रा बोलेंगी।
BJP बनाम कांग्रेस: विवाद ‘हटी हुई पंक्तियों’ पर
इस बहस के बीच एक राजनीतिक विवाद भी गर्माया हुआ है—
भाजपा का आरोप है कि 1937 में कांग्रेस ने वंदे मातरम् की कुछ महत्वपूर्ण पंक्तियाँ हटाई, जिससे विभाजन की जमीन तैयार हुई।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
प्रकाशन: सबसे पहले बांगदर्शन पत्रिका (1875)
बाद में शामिल: उपन्यास आनंदमठ
स्वतंत्रता आंदोलन में नारा बना: “वंदे मातरम्”
इस शीतकालीन सत्र की शुरुआत 1 दिसंबर को हुई थी, लेकिन SIR मुद्दे पर विपक्ष के विरोध के कारण पहले दो दिन सदन जारी नहीं रह सका। आज की चर्चा सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक यात्रा और राष्ट्रीय स्वाभिमान से जुड़ी है। अब देश की नजर प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन और आज होने वाली बहस पर टिक गई है।
