नई दिल्ली : केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिए 6 जून को उम्मीद पोर्टल” (एकीकृत प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास)) लॉन्च करने जा रही है। इस पोर्टल के जरिए वक्फ संपत्तियों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन (Waqf Property Registration Online) आसान हो जाएगा और देशभर की सभी वक्फ संपत्तियों को एक ही प्लेटफॉर्म पर जोड़ा जा सकेगा।
क्या है UMEED Portal?
UMEED Portal एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसे Ministry of Minority Affairs द्वारा शुरू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की ट्रैकिंग, जियो-टैगिंग, रजिस्ट्रेशन और मॉनिटरिंग को पारदर्शी और आधुनिक बनाना है। इस पोर्टल के जरिए वक्फ बोर्ड, राज्य सरकारें और आम लोग आसानी से संपत्तियों से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
छह महीने में पूरी करनी होगी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया
रिपोर्ट के अनुसार, सभी वक्फ संपत्तियों को छह महीने के भीतर पंजीकृत करना अनिवार्य होगा। यदि तकनीकी या प्रशासनिक कारणों से कोई संपत्ति निर्धारित समय सीमा में रजिस्टर नहीं हो पाती है, तो उसे 1 से 2 महीने का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है। इसके बाद भी यदि कोई संपत्ति अपंजीकृत रहती है, तो उसे “विवादित संपत्ति (Disputed Waqf Property)” माना जाएगा और मामला वक्फ ट्रिब्यूनल को सौंपा जाएगा।
किन दस्तावेजों की होगी ज़रूरत?
पंजीकरण के लिए संपत्ति के आयाम, स्थान, जियो-टैगिंग, मालिकाना हक़ और लाभार्थियों की जानकारी देना अनिवार्य होगा। खास बात यह है कि महिलाओं के नाम पर किसी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता, हालांकि लाभार्थी महिलाओं, बच्चों और गरीबों को बनाया जा सकता है।
चुनाव आयोग के डेटा से होगी संपत्ति की पहचान
वक्फ संपत्तियों की पहचान और प्रमाणीकरण के लिए Election Commission Data का उपयोग किया जाएगा, जिससे फर्जी संपत्ति रजिस्ट्रेशन और जालसाजी पर लगाम लगेगी। साथ ही राज्य वक्फ बोर्ड (State Waqf Board) इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेगा।
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियम को दी गई चुनौती
वहीं दूसरी ओर, वक्फ अधिनियम 1995 और उसके 2025 के संशोधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक अहम याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि केवल मुसलमानों के लिए वक्फ संपत्तियों के प्रशासन का अलग कानून होना अन्य धर्मों के साथ भेदभाव है।
याचिका में उठाए गए मुख्य सवाल:
क्या वक्फ अधिनियम संविधान के Article 14 (समानता), 15 (भेदभाव निषेध), 21 (जीवन का अधिकार), 25-27 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है?
क्यों सरकार सिर्फ वक्फ संपत्तियों के सर्वे और उनके खर्चों को वहन करती है, जबकि अन्य धार्मिक संस्थानों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है?
सुप्रीम कोर्ट की CJI बी.आर. गवई की बेंच इस याचिका पर पहले से लंबित मामलों के साथ सुनवाई कर रही है। अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि उन्होंने 2013 और 2025 के वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती दी है।
डिजिटल इंडिया की ओर एक और कदम
UMMEED Portal के लॉन्च से यह साफ हो गया है कि सरकार Digital India Mission के तहत वक्फ प्रॉपर्टी मैनेजमेंट में भी पारदर्शिता लाने को प्रतिबद्ध है। लेकिन इसके समानांतर उठाए जा रहे संवैधानिक सवालों और अदालती चुनौतियों से यह मामला और भी महत्वपूर्ण बन गया है।