नई दिल्ली: केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी ने राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 के अवसर पर ‘Electric Agricultural Tractors- Test Code’ को जारी किया। यह कार्यक्रम नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित हुआ। यह भारतीय मानक भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों की सुरक्षा, विश्वसनीयता और प्रदर्शन सुनिश्चित करना है।
यह नया मानक इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों के लिए एक समान परीक्षण प्रक्रिया तय करता है। इसके तहत PTO पावर, ड्रॉबार पावर, बेल्ट और पुली के प्रदर्शन, वाइब्रेशन मापन, स्पेसिफिकेशन की जांच और विभिन्न पुर्जों व असेंबलियों के निरीक्षण से जुड़े परीक्षण शामिल हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़े ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स से तकनीकी सहयोग लिया गया है, जिन्हें कृषि उपयोग के अनुसार अनुकूलित किया गया है।
इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों को बढ़ावा मिलेगा
इस मानक के लागू होने से अधिकृत परीक्षण संस्थानों के माध्यम से इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों को बढ़ावा मिलेगा, स्वच्छ कृषि तकनीकों में नवाचार को गति मिलेगी और उत्सर्जन में कमी के साथ टिकाऊ कृषि यंत्रीकरण को मजबूती मिलेगी। इस टेस्ट कोड के जरिए तैयार होने वाला डेटा ट्रैक्टरों के प्रदर्शन और सुरक्षा के वैज्ञानिक मूल्यांकन में मदद करेगा और भविष्य में स्वीकृति मानदंड व अनुरूपता मूल्यांकन योजनाएं विकसित करने का आधार बनेगा।
इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टर भारत के कृषि यंत्रीकरण क्षेत्र का उभरता हुआ महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये ट्रैक्टर डीजल इंजन की जगह बैटरी पैक से संचालित इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग करते हैं। बैटरी तकनीक, इलेक्ट्रिक मोटर और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स में तेजी से हो रहे विकास के कारण इन ट्रैक्टरों की क्षमता और दक्षता में लगातार सुधार हो रहा है।
इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर पारंपरिक डीजल ट्रैक्टरों का एक टिकाऊ विकल्प हैं। इनमें कम उत्सर्जन, कम परिचालन लागत, बेहतर ऊर्जा दक्षता और शून्य टेलपाइप उत्सर्जन जैसे फायदे हैं। इससे खेतों में वायु प्रदूषण कम होता है और कृषि कार्यों का कार्बन फुटप्रिंट घटता है। किसानों के लिए यह कम शोर, बिना धुएं वाला और स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर कार्य वातावरण प्रदान करता है। साथ ही, डीजल इंजन की तुलना में कम मूविंग पार्ट्स होने से रखरखाव की जरूरत भी कम होती है।
देश में इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों के बढ़ते उपयोग के बीच अब तक समर्पित और एकरूप परीक्षण मानकों की कमी एक बड़ी चुनौती थी। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की मैकेनाइजेशन एंड टेक्नोलॉजी डिवीजन के अनुरोध पर BIS ने इस मानक को प्राथमिकता के आधार पर विकसित किया। इसके निर्माण में इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर निर्माता, परीक्षण एवं प्रमाणन एजेंसियां, अनुसंधान संस्थान, शैक्षणिक संगठन और कृषि इंजीनियरिंग व इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के विशेषज्ञों की सक्रिय भागीदारी रही।
ऑल इंडिया फार्मर्स अलायंस जैसे प्रमुख संस्थानों ने अहम योगदान दिया
इस प्रक्रिया में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, ICAR-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग (भोपाल), सेंट्रल फार्म मशीनरी ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट (बुदनी), ट्रैक्टर एंड मैकेनाइजेशन एसोसिएशन, ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (पुणे) और ऑल इंडिया फार्मर्स अलायंस जैसे प्रमुख संस्थानों ने अहम योगदान दिया। यह मानक फिलहाल स्वैच्छिक है, लेकिन इसका नोटिफिकेशन भारत के कृषि क्षेत्र में उभरती तकनीकों के लिए मानकीकरण ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। साथ ही, यह भारत को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और आधुनिक कृषि यंत्रीकरण के वैश्विक रुझानों के अनुरूप आगे बढ़ाने में मदद करेगा।