शिमला. दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात के बाद शिमला लौटते ही मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सबसे पहले अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिये बिसात बिछाने का काम किया है. बेटे की सीट शिमला ग्रामीण को सुरक्षित करने के मकसद से क्षेत्र के अध्यक्ष रितेश कपरेट को हटाकर अपने खास यशवंत छाजटा की तैनाती कर दी है.
इस बाबत पार्टी अध्यक्ष सुक्खू से आदेश पारित करवा दिये लेकिन इसका असर यह हुआ कि सुक्खू गुट खुद को कमजोर महसूस करने लगा. इस दुविधा से पार पाने के लिये संगठन ने एक नायाब तरीका ढूंढ निकाला और रितेश कपरेट को कार्यकारी अध्यक्ष बने रहने के आदेश दे दिये हैं.
इस फैसले से हालांकि कपरेट को पद मिल गया लेकिन सत्ता और संगठन के बीच खींचतान और अधिक बढ़ गयी है. वीरभद्र सिंह ने बीते दिन पालमपुर दौरे के दौरान जनसभा में साफ कहा कि अब वह क्षेत्र में जायेंगे और संगठन कमरे में बैठा रहेगा. वहीं दशहरा के बाद उन्होंने कहा कि संगठन की चर्चाओं को अब पूर्ण विश्राम मिल गया है.
कार्यकर्ताओं में उलझन
इन बयानों से साफ है कि वीरभद्र सिंह खुद को जनता के सामने बहुत सशक्त दर्शा रहे हैं जबकि सुक्खू गुट हार मानने के मूड में नहीं लग रहा है. चुनाव सर पर है वहीं सत्ता और संगठन आमने-सामने हैं इससे कार्यकर्ता पशोपेश में है कि आखिर वो किसकी सुनें?
इसी कारण ज्यादातर कार्यकर्ताओं ने चुप्पी साध ली है. ज्यादातर कार्यकर्ता इस झगड़े को समाप्त होने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन ऐसा न हो कि जंग चलती रहे और चुनाव खत्म हो जाये. उस स्थिति में ‘मिशन रिपीट’ तो दूर शतरंज के खेल की तरह शह और मात न हो जाये.