नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के ‘Vote Chori’ यानी वोट चोरी से जुड़े आरोपों की SIT जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में दावा किया गया था कि कई चुनावों में मतदाता सूची (voters list) में गंभीर गड़बड़ियां हुई हैं, जिनकी जांच जरूरी है।
न्यायमूर्ति सूर्या कांत और जॉयमाला बागची की दो सदस्यीय पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस मामले में भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India – ECI) से संपर्क कर सकते हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि “जनहित याचिका के रूप में दायर यह रिट याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती। याचिकाकर्ता को वैकल्पिक कानूनी उपाय अपनाने की स्वतंत्रता है।”
याचिकाकर्ता ने यह भी दलील दी थी कि इस मामले में चुनाव आयोग को आवेदन दिया गया था, लेकिन आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बावजूद शीर्ष अदालत ने जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला अदालत के दखल का नहीं है।
राहुल गांधी के ‘Vote Chori’ आरोप
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी कई बार केंद्र की एनडीए सरकार पर “वोट चोरी” करने का आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि चुनाव आयोग (ECI) मोदी सरकार के पक्ष में काम कर रहा है। हालांकि, आयोग ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए राहुल गांधी से “साक्ष्य पेश करने” को कहा था।
राहुल गांधी ने अपने बयान में यह भी दावा किया था कि महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव “फिक्स” किए गए थे। उन्होंने कहा था —
“उन्होंने हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव चुरा लिए। हमने हाल ही में कर्नाटक में इसे साबित किया है। आज देश का सबसे बड़ा मुद्दा वोट चोरी है। हर जगह लोग ‘वोट चोर’ के नारे लगा रहे हैं।”
बीजेपी का पलटवार
राहुल गांधी के आरोपों को बीजेपी ने “निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित” बताया है। पार्टी का कहना है कि कांग्रेस का वोट शेयर और सीटें पिछले तीन दशकों से लगातार गिर रही हैं।
बीजेपी ने बयान में कहा —
“सच्चाई यह है कि 1984 में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को 48% वोट शेयर और 543 में से 414 सीटें मिली थीं। लेकिन इसके बाद पार्टी लगातार गिरावट में रही और 2014 में उसका प्रदर्शन सबसे खराब रहा, जब उसे सिर्फ 44 सीटें और 19.5% वोट मिले।”
