सोलन में पानी की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है. आकाश से पानी झमाझम बरस रहा है. लेकिन पीने को पानी नहीं है. छतों पर लगे पानी की टंकी खाली पड़े हैं. पहले जहां हर तीसरे दिन शहर में पानी आता था. अब शहर के लोगों को पानी के लिए हप्तेभर का इंतजार करना पड़ रहा है.
नगर परिषद अध्यक्ष दवेंद्र ठाकुर कहते हैं “बरसातों में नदी में सिल्ट आ जाती है जिसकी वजह से पानी उठाया नहीं जा सकता है, यही कारण है कि शहर में पानी की किल्लत हो जाती है. वे आगे बताते हैं, “सोलन शहर को प्रत्येक दिन 18 लाख गैलन पानी की आवश्यकता होती है लेकिन करीबन 10 लाख गैलन ही पानी मिल रहा है.”
सोलन शहर के निवासी पानी की किल्लत काफी समय से जूझ रहे हैं. नगर परिषद में भी शिकायत की गई. लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. हालात इतने बदतर हो गए हैं कि कपड़े धोना और नहाना तो दूर खाना बनाने के लिए भी घरों में पानी नहीं है.
“बरसात के दिनों में भी आठ दिनों से पानी नहीं आ रहा है. हमारे पास न तो कोई हैंन्ड पंप है और न ही बाबरी है, एक छोटा सा चसमा है जहां से लोग पानी भरकर लाते हैं.”
सोलन में बावड़ियां और चश्मे न के बराबर हैं. पानी न आने की सूरत में काफी दूर से कतारों में लग कर पानी लाना पड़ता है.
नदियों में हर साल सिल्ट आती है. हर साल पानी के लिए तरसना शहरवासियों की नियति बन गयी है. नगर परिषद अध्यक्ष देवेन्द्र ठाकुर इसे प्राकृतिक आपदा बताते हैं, जिससे बचा नहीं जा सकता है. लेकिन जानकारों की मानें तो नगर परिषद पानी के भंडारण से समस्या को पार पा सकता है. लेकिन जब नीयत में खोट हो तो कर्तव्यपालन की बात बेमानी हो जाती है.