शिमला: हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा दिए जाने संबंधित अधिसूचना जारी होने पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय के साथ किया अपना वादा उन्होंने निभा दिया है. उन्होंने सभी को शुभकामनाएं दी हैं.
जयराम ने कहा कि जो हक 58 साल पहले मिल जाना चाहिए था, उसके लिए आज भी रोड़े अटकाने का प्रयास हुआ. राष्ट्रपति से मंज़ूरी मिलने के बाद भी हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने से रोकने का प्रयास किया गया. एक स्पष्ट निर्देश होने के बाद भी स्पष्टीकरण के नाम पर पांच महीनें तक चीजों को अटकाने की कोशिश हुई, जो दु:खद है.
उन्होंने कहा कि हाटी समुदाय को यह दर्जा 1968 में ही मिल जाना चाहिए था, जब उत्तराखंड के जौनसार बावर के जौनसारी समुदाय को यह दर्जा मिला था. क्योंकि हाटी समुदाय और जौनसारी समुदायों के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक के साथ ही भौगोलिक समानता भी थी. तब गिरिपार के साथ अन्याय हुआ था.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सुक्खू सरकार इस कानून को अटकाने, भटकाने और लटकाने के तरीके खोजने में अपनी ऊर्जा खर्च कर रही थी. आखिरकार स्पष्टीकरण के नाम पर इस कानून को लागू करने से रोकने का प्रयास किया गया. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा भी कुछ छात्रों को प्रोविजनल सर्टिफिकेट दिया गया. इसके बाद किसी प्रकार के शक की गुंजाइश ही खत्म हो गई थी, लेकिन फिर भी अधिसूचना जारी करने में देरी हुई. सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने में देरी से हजारों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ. इसकी भरपाई कौन करेगा.