हमीरपुर : आजादी के छह दशक बीत जाने के बाद भी हमीरपुर जिला के नादौन उपमंडल में एक ऐसा गांव है जहां बरसात के दिनों में लोग कैदियों जैसा जीवन व्यतीत करते हैं. इतना ही नहीं गांव से बाहर जाने के लिए ब्यास नदी पर पुल न होने कारण गाँव वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.नादौन उपमंडल की बेला पंचायत के अमतर गांव के पास बह रही ब्यास नदी के पार बसे लगभग 50 गांवों के हजारों लोग आवाजाही की मूलभूत सुविधा की दिक्कत झेल रहे हैं.
बारिश के दिनों में कैद हो जाते लोग
इस गांव के लोग बरसात के दिनों में गांव में कैद हो जाते हैं. बच्चे स्कूल नहीं जा पाते तो मजदूर, मजदूरी के लिए घर से बाहर नहीं पाते हैं.. ब्यास नदी का पानी वैसे तो जीवनदायी है, परंतु जब पानी रौद्र रूप धारण करता है तो इन लोगों के लिए अभिशाप बन जाता है.करीब 3 साल पहले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने नादौन दौरे पर आये तब गाँव वालों से इस समस्या से उन्हें अवगत कराया था. मुख्यमंत्री ने यह आश्वासन दिया था कि अमतर व डोडरू गांवों में झूला पुल बनाया जायेगा. मुख्यमंत्री के इस आश्वासन से लोगों में आस जगी थी कि, लेकिन लोगों की आशाएं अब धूमिल होने लगी हैं क्योंकि झूला पुल बनाने का कार्य सर्वे से आगे नहीं बढ़ सका.
नाव की सहायता से गांव से बाहर जाते हैं लोग
ब्यास नदी पर पुल या झूला पुल न होने के कारण लोगों को नादौन पहुंचने के लिए या तो नाव का सहारा लेना पड़ता है या फिर सड़क मार्ग से 15 किलोमीटर घूम कर नादौन आना पड़ता है. जहां ब्यास नदी पार कर नादौन आने में महज 2 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है, वहीं घूमकर आने में लोगों को 15 से 20 रुपए तक किराया चुकाना पड़ता है.
इस क्षेत्र की ग्राम पंचायतों लुथाण, सिल्ह, मझीण, दरीण, बेला, तथा नगर पंचायत नादौन ने भी इस स्थान पर झूला पुल बनाकर लोगों के लिए ब्यास नदी को 24 घंटे आर पार करने की सुविधा उपलब्ध करवाने की मांग कई बार की है.लोगों का कहना है कि कई दशकों से कई सरकारें आईं और गईं परंतु उनकी इस मांग को हर बार अनदेखा कर दिया गया.