नई दिल्ली. Jammu & Kashmir को लेकर एक बार फिर सियासी चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। राष्ट्रीय सम्मेलन के नेता और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने social media platform X पर एक cryptic post साझा कर सबका ध्यान खींचा है। यह पोस्ट तब आई है जब Parliament Monsoon Session चल रहा है और 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 निरस्तीकरण की वर्षगांठ भी है।
उमर अब्दुल्ला की ‘intuition’ या संकेत?
अपने पोस्ट में उमर अब्दुल्ला ने लिखा कि मैंने कल जम्मू-कश्मीर में क्या हो सकता है, इस पर हर किस्म की चर्चा सुनी है। इसलिए मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूँ कि कल कुछ नहीं होगा – न कुछ बुरा, न कुछ अच्छा।
हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें इस संसद का मानसून सत्र जम्मू-कश्मीर में कुछ सकारात्मक विकास लेकर आएगा की आशा है – “लेकिन कल नहीं। उन्होंने साफ किया कि यह कोई आधिकारिक सूचना नहीं बल्कि उनकी personal intuition है। साथ ही कहा कि उन्होंने दिल्ली में किसी भी शीर्ष नेता से मुलाकात नहीं की है।
Delhi में बंद दरवाज़ों के पीछे क्या चल रहा?
इस बीच राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि जम्मू-कश्मीर राज्य की बहाली को लेकर कोई कदम उठाया जा सकता है। हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मुलाकात और फिर गृह मंत्री अमित शाह की अलग बैठक में स्टेलॉन को हवा दी गई है। ख़ास बात यह है कि इन बैठकों का कोई आधिकारिक विवरण सामने नहीं आया है।
Article 370 anniversary: क्यों है 5 अगस्त अहम?
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था और राज्य को दो केंद्र उपयोग – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख – में बांट दिया गया था। यह निर्णय ऐतिहासिक भी था और असंवैधानिक भी। चार साल बाद, भारत के चुनाव आयोग ने यहां विधानसभा चुनाव कराए और नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन को बहुमत मिला। उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने और राज्य में एक बार फिर राजनीतिक नेतृत्व मिला।
क्या फिर से बहाल होगा Statehood?
उमर अब्दुल्ला की यह पोस्ट ऐसे समय में आई है जब पूरे देश में यह सवाल उठ रहा है क्या जम्मू-कश्मीर को उसका राज्य का दर्जा वापस मिलेगा? उमर की आशावादी बातों ने इस सवाल को और गहरा कर दिया है।
