नई दिल्ली. वर्ल्ड डायबिटीज़ डे के मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र ने डायबिटीज़ के बढ़ते बोझ पर त्वरित और समन्वित कार्रवाई की अपील की है। रिपोर्ट के मुताबिक, क्षेत्र में 27.9 करोड़ (279 मिलियन) वयस्क डायबिटीज़ से प्रभावित हैं, जो दुनिया के कुल मामलों का लगभग एक-तिहाई है।
इस साल की थीम: “Diabetes Across Life Stages”
इस वर्ष का थीम “डायबिटीज़ जीवन के हर चरण में” (Diabetes across life stages) पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य बचपन से लेकर बुजुर्ग आयु तक सभी के लिए समान और उम्र-उपयुक्त देखभाल सुनिश्चित करना है।
देर से निदान और कमजोर उपचार सबसे बड़ी चुनौती
WHO दक्षिण-पूर्व एशिया की ऑफिसर-इन-चार्ज डॉ. कैथरीना बोहेमे ने कहा कि डायबिटीज़ अभी भी एक गंभीर चुनौती बनी हुई है क्योंकि:
बीमारी का देर से पता चलता है
उपचार पर्याप्त नहीं है
और ब्लड शुगर पर नियंत्रण बेहद खराब है
उन्होंने बताया कि सिर्फ हर तीन में से एक वयस्क को ही उपचार मिलता है, और 15% से भी कम मरीज अपना ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रख पाते हैं।
हर उम्र में अलग देखभाल की जरूरत – WHO
WHO के अनुसार:
डायबिटीज़ से पीड़ित बच्चे को घर और स्कूल में समय पर और विशेष समर्थन चाहिए
गर्भवती महिलाओं को उचित प्रबंधन की जरूरत होती है ताकि उनकी और बच्चे की सेहत सुरक्षित रहे
बुजुर्गों को लगातार निगरानी और गाइडेंस की जरूरत होती है ताकि गंभीर जटिलताओं से बचा जा सके
क्या डायबिटीज़ रोकी जा सकती है?
डॉ. बोहेमे के अनुसार:
टाइप-1 डायबिटीज़ को रोका नहीं जा सकता, लेकिन इसका उपचार और मैनेजमेंट संभव है
टाइप-2 डायबिटीज़ का जोखिम जीवनशैली में बदलाव से काफी हद तक कम किया जा सकता है
डायबिटीज़ से बचाव और नियंत्रण के उपाय
नियमित शारीरिक गतिविधि/Exercise
संतुलित आहार
तंबाकू और शराब से दूरी
समय पर दवाइयां और नियमित जांच
ब्लड शुगर कंट्रोल में सुधार
